Saturday, July 26, 2025

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प्रवासी मतदाताओं के रुझान से तय होगा गांव का प्रधान

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया है, जबकि दूसरा चरण 28 जुलाई को संपन्न होगा। इस बार के चुनावों में ‘मेरा गांव, मेरा वोट’ की भावना के साथ बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाताओं ने गांव की सरकार चुनने में सक्रिय भागीदारी निभाई है। इससे साफ है कि गांव का मुखिया कौन बनेगा, इस निर्णय में प्रवासी मतदाताओं की भूमिका बेहद अहम होती जा रही है।

प्रथम चरण के तहत नारायणबगड़, थराली और देवाल विकासखंडों में मतदान हुआ। इस दौरान उत्तर कड़ाकोट पट्टी के कोट गांव में मतदाताओं की जागरूकता देखने को मिली। यहां चमतोली गदेरे पर पुल न होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचे। स्थानीय युवाओं ने उफनते गदेरे को पार कर बुजुर्गों और महिलाओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाया। यह दृश्य ग्रामीण लोकतंत्र में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी का परिचायक बना।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पंचायत स्तर के चुनावों में प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच सीधा और व्यक्तिगत संबंध होता है। यही वजह है कि दिल्ली, मुंबई, देहरादून और अन्य शहरों में नौकरी या व्यवसाय कर रहे प्रवासी मतदाता भी अपने गांव लौटकर मतदान करते हैं। इनमें से अधिकांश प्रधान पद के प्रत्याशियों के सीधे संपर्क में रहते हैं। हालांकि, प्रवासी मतदाताओं का प्रभाव केवल प्रधान पद तक सीमित नहीं है। इनका रुझान क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के समीकरणों को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बदलते सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के बीच प्रवासी मतदाताओं की भूमिका अब पहले से कहीं अधिक निर्णायक बन चुकी है। गांव की राजनीति में अब यह वर्ग केवल बाहरी समर्थनकर्ता नहीं, बल्कि निर्णायक मतदाता के रूप में देखा जा रहा है।

रुद्रप्रयाग: दिल्ली, देहरादून, चंडीगढ़ सहित कई शहरों से पहुंचे प्रवासी मतदाता

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले चरण में जनपद के अगस्त्यमुनि, जखोली और ऊखीमठ विकासखंडों के 459 मतदान केंद्रों पर बृहस्पतिवार को शांतिपूर्ण ढंग से मतदान संपन्न हुआ। इस चरण में मतदाताओं ने 280 ग्राम प्रधानों, 103 क्षेत्र पंचायत सदस्यों और 18 जिला पंचायत सदस्यों के चयन के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

ग्राम पंचायत चुनावों में जहां स्थानीय मतदाता सक्रिय नजर आए, वहीं प्रवासी मतदाताओं का उत्साह भी देखते ही बना। दिल्ली, देहरादून, चंडीगढ़, हरिद्वार, ऋषिकेश, मुरादाबाद, बरेली, नोएडा, फरीदाबाद, जयपुर सहित देश के अनेक शहरों से प्रवासी मतदाता अपने गांवों तक पहुंचे। अधिकतर प्रवासी निजी वाहनों या बुक किए गए टेंपो-ट्रेवलरों के माध्यम से गांव आए ताकि समय पर मतदान कर सकें।

प्रत्येक बूथ पर प्रवासी मतदाताओं की अच्छी खासी भागीदारी रही। कई मतदान केंद्रों पर 5 से लेकर 35 प्रतिशत तक वोट प्रवासी मतदाताओं ने डाले। शायद ही कोई ऐसा बूथ रहा जहां प्रवासी मतदाता अनुपस्थित रहे हों। चंडीगढ़ से आए 30 से अधिक प्रवासी मतदाताओं ने बताया कि उन्होंने गांव में नेतृत्व परिवर्तन और मूलभूत सुविधाओं की बेहतरी के उद्देश्य से मतदान किया। उनका प्राथमिक ध्यान ग्राम प्रधान पद के उम्मीदवारों पर रहा।

दिल्ली, गुड़गांव और हरिद्वार से पहुंचे मतदाता नीरज, विक्रम, रोहन और अर्जुन सिंह ने बताया कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी आधारभूत सुविधाओं की स्थिति को बेहतर बनाने की मंशा से मतदान करने गांव लौटे हैं।

खांकरा, लोली, बीरों, चिनग्वाड़, पाबौ, पीड़ा, बिलोटा, कोठगी, मदोला, गांधीनगर, शिवानंदी, रतूड़ा, कोट तल्ला, मल्ला व बिचला, जसोली, खेड़ाखाल, नौना-दानकोट, गहड़खाल, कांडई, पीपली, बरसूड़ी, जयंती और कोठियाड़ा सहित अनेक गांवों में प्रवासी मतदाताओं की उपस्थिति ने मतदान प्रतिशत को प्रभावित किया।

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