प्रदेश में सड़कों के पुनर्निर्माण का काम अधर में लटका हुआ है। पहले चरण में कार्य पूरा होने के बाद अब दूसरे चरण के लिए वित्तीय मंजूरी न मिलने से सड़क सुधार परियोजना ठप पड़ गई है। इससे न सिर्फ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के यातायात प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि विकास योजनाओं की रफ्तार भी धीमी हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में कई जिलों में प्रमुख संपर्क मार्गों और ग्रामीण सड़कों की मरम्मत व चौड़ीकरण का काम किया गया था। इन कार्यों को लेकर जनता में उम्मीद जगी थी कि जल्द ही बाकी क्षतिग्रस्त सड़कों पर भी काम शुरू होगा। लेकिन अब तक राज्य सरकार को दूसरे चरण की परियोजनाओं के लिए वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है।
लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। इसमें उन मार्गों का विवरण शामिल है, जिन्हें तत्काल मरम्मत और पुनर्निर्माण की जरूरत है। लेकिन वित्तीय मंजूरी न मिलने से ठेकेदारों को टेंडर भी जारी नहीं हो पा रहे हैं।
वित्तीय स्वीकृति में देरी का सीधा असर ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ रहा है, जहां सड़कें लंबे समय से खस्ताहाल हैं। बरसात के मौसम में तो कई मार्गों पर स्थिति और भी खराब हो गई है। कीचड़ और गड्ढों से भरी सड़कों से न सिर्फ आम जनता परेशान है, बल्कि एंबुलेंस और स्कूल बसों तक का संचालन प्रभावित हो रहा है।
पर्यटन और कृषि क्षेत्र पर भी इसका असर दिखाई देने लगा है। खराब सड़कों के चलते पहाड़ी इलाकों से कृषि उपज बाजारों तक पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। वहीं, पर्यटकों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द दूसरे चरण की वित्तीय मंजूरी दी जाए ताकि सड़क पुनर्निर्माण कार्यों को गति मिल सके। उनका कहना है कि सड़कें ही विकास की रीढ़ हैं, और इनके बिना योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाएगा।
प्रदेश में सड़कों का पुनर्निर्माण अटका, दूसरे चरण को वित्तीय मंजूरी का इंतज़ार
