उत्तराखंड में इस बार बिजली की दरों पर दोहरी महंगाई का साया मंडरा रहा है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने तीनों ऊर्जा निगमों के वार्षिक टैरिफ के साथ ही यूजेवीएनएनएल का पावर डेवलपमेंट फंड भी देने की तैयारी शुरू कर दी है। आयोग का फोकस इस बात पर भी है कि उपभोक्ताओं पर इसका ज्यादा भार न पड़े। तीनों ऊर्जा निगमों ने इस बार नियामक आयोग में 29 प्रतिशत (यूपीसीएल 12, पिटकुल 12, यूजेवीएनएल 5 प्रतिशत) बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। नियामक आयोग इन पर जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। बुधवार को आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद की अध्यक्षता में राज्य सलाहकार समिति की बैठक भी हुई, जिसमें उद्योगों के प्रतिनिधि बिजली महंगी करने के पक्ष में नजर नहीं आए। सभी हितधारकों ने अपने सुझाव रखे। अब नियामक आयोग जनसुनवाई और इस बैठक के सुझावों को संज्ञान में रखते हुए अपना निर्णय लेगा, जिससे बिजली की नई दरें जारी की जाएंगी। ये दरें एक अप्रैल से लागू होंगी।यूजेवीएनएल ने मनेरी भाली-2 परियोजना का पावर डेवपलमेंट फंड और इसके ब्याज के लिए 2500 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह परियोजना वर्ष 2008 में शुरू हुई थी। नियामक आयोग से निराशा मिलने के बाद यूजेवीएनएल ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधिकरण ने यूजेवीएनएल के हक में फैसला देते हुए नियामक आयोग को इस फंड की व्यवस्था कराने को कहा था। यूजेवीएनएल की मांग है कि मूल रिटर्न व इक्विटी 850 करोड़ पर ब्याज समेत 2500 करोड़ की जरूरत है। मामले में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जरूर था लेकिन न्यायालय ने इस पर कोई स्टे नहीं दिया है। लिहाजा, नियामक आयोग को एपीटीईएल के आदेश का अनुपालन करना है। अगर आयोग 2500 करोड़ की वसूली एक बार में करता है तो बिजली बिल करीब 25 फीसदी बढ़ जाएगा। लेकिन बताया जा रहा है कि आयोग बीच का रास्ता निकाल रहा है, जिससे उपभोक्ताओं पर एक साथ ज्यादा भार न पड़े।