सरोवर नगरी नैनीताल में आयोजित माउंटेन नेचर ट्रेल ने स्कूली छात्रों और पर्यावरण प्रेमियों को जंगल की अनकही कहानियों और जैव विविधता की गहराइयों से रूबरू कराया। नैनीताल माउंटेनियरिंग क्लब की इस पहल में हल्द्वानी और नैनीताल के लगभग 200 प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें 130 छात्र-छात्राएं और शिक्षकगण मौजूद थे।
कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे डब्ल्यूआईआई के पूर्व निदेशक डॉ. जीएस रावत ने बच्चों को पेड़-पौधों, फूलों और जंगल की पारिस्थितिकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को जंगल को समझने, उसका सम्मान करने और उसमें शोध भावना विकसित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को नियमित रूप से आकर मेंटल मैप और फील्ड नोट्स तैयार करने चाहिए।
पद्मश्री अनूप साह ने भी बच्चों को जंगल और औषधीय पौधों के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि सरकार को स्कूलों में हर माह एक दिन ‘नेचर स्टडी’ अनिवार्य करनी चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ी प्रकृति के प्रति संवेदनशील बने।
एक्सपर्ट्स ने एसिड रेन और पर्यावरणीय असंतुलन की चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि इस बार ट्रेल के दौरान सामान्यतः पाई जाने वाली लीच नहीं दिखी, जो कि असमान्य संकेत है और इसका मुख्य कारण एसिड रेन व वाहनों की अधिक आवाजाही है। लाईकेन को पर्यावरण गुणवत्ता का संकेतक बताते हुए उन्होंने इसकी वैज्ञानिक उपयोगिता को समझाया।
ट्रेल टिफिन टॉप से शुरू होकर पाइथन वैली तक पहुंची, जिसकी कुल दूरी लगभग 8 किलोमीटर थी। इस दौरान प्रतिभागियों को मशरूम, औषधीय पौधे, जंगली जीवों की आदतों और आहार से संबंधित दिलचस्प जानकारियां दी गईं।
इस अनोखे ट्रैक में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों जैसे कि बिड़ला विद्या मंदिर, सीआरएसटी इंटर कॉलेज, बिशप शा इंटर स्कूल, पीएम श्री एयूजीजीआईसी, एसडेल, डीएसबी कैंपस, हल्द्वानी का व्हाइट हॉल स्कूल सहित अन्य स्कूलों के छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
इस आयोजन में डॉ. नवीन पांडे, बीएस मेहता, मनोज पांडे, डॉ. ललित तिवारी सहित कई शिक्षाविदों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वन विभाग की टीम की सक्रिय भागीदारी रही।
यह ट्रेल न सिर्फ बच्चों के लिए एक रोमांचक अनुभव था, बल्कि उन्हें प्रकृति से जुड़ने और उसके संरक्षण के प्रति जिम्मेदार बनने की प्रेरणा भी देकर गया।