हिजबुल्ला सदस्यों के पेजर्स और वॉकी-टॉकी में हुए सिलसिलेवार धमाकों और उसमें कई लोगों की मौत के बाद आपूर्ति श्रृंखला में खामियों की चर्चा शुरू हो गई है। खासकर पुरानी तकनीक के उपकरणों के एक बड़ा बाजार है, जहां खरीददारों को इस बारे में बहुत कम जानकारी होती है कि वह क्या खरीद रहे हैं और उसकी गुणवत्ता क्या है। नए और ब्रांडेड उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला और वितरण चैनल पर कड़ा प्रबंधन है, लेकिन पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में, खासकर एशिया के बाजार में प्रबंधन नहीं है, जहां जालसाजी आसान है। हाल ही में लेबनान में पेजर्स और वॉकी-टॉकी में हुए धमाकों में 37 लोगों की जान चली गई और लगभग 3,000 से ज्यादा लोग घायल हैं। जिन उपकरणों में धमाके हुए उनमें से कुछ ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो द्वारा बनाए गए थे, लेकिन जब कंपनी से सवाल किया गया तो कंपनी ने कहा कि उन्होंने हंगरी की एक कंपनी को पेजर निर्माण का लाइसेंस दिया था। इस पूरे मामले से यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि उपकरणों को कब और कैसे बनाया गया। प्रौद्योगिकीविद् और विशेषज्ञों का कहना है कि ‘किसी उपकरण में विस्फोटकों को अंदर रखने के लिए आपूर्ति श्रृंखला से समझौता उतना मुश्किल नहीं है और बड़ी आसानी से इसे अंजाम दिया जा सकता है। आज के समय बाजार में बड़े पैमाने पर नकली उत्पाद हैं और खास चीन जैसे बड़े विनिर्माण केंद्रों में बड़े पैमाने पर नकली उत्पाद बनाए जा रहे हैं। हिजबुल्ला ने करीब पांच महीने पहले पेजर्स हासिल किए थे और हिजबुल्ला को लगा कि वह इन्हें ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो से खरीद रहे हैं। जो पेजर्स खरीदे गए उन पर जापान की कंपनी आईकॉम का नाम और मेड इन जापान लिखा था। हालांकि जापानी कंपनी ने इन पेजर्स के निर्माण से इनकार किया है।