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सीधी भर्ती का विरोध: शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी, शिक्षा मंत्री से की मुलाकात

उत्तराखंड में प्रधानाचार्य पद पर विभागीय सीधी भर्ती के...

देवभूमि

कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

इस प्रान्त का नाम कुर्मांचल या कुमाऊं होने के...

रामगंगा नदी घाटी में दबा है ऐतिहासिक शहर! फिर दुनिया के सामने लाने को ASI ने कसी कमर

अल्मोड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा...

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

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व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

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अमिताभ बच्चन को उनका नाम दिया था कवि सुमित्रानंदन...

Bachendri Pal

Bachendri Pal, (born May 24, 1954, Nakuri, India), Indian...

The World of Raghu Rai: His Photography & Life

It was a picture of a donkey that started...

ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

पनीर ने रोका पलायन : रौतू कीबेली गाँव

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Friday, July 25, 2025

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पृथ्वी के वायुमंडल में फिर दाखिल हुआ इसरो के POEM-4 मॉड्यूल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी है कि पीएसएलवी ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म एक्सपेरीमेंट मॉड्यूल (पीओईएम-4) का चौथा संस्करण पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया है। पीओईएम-4 अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रयोग मिशन के लिए उपयोग किए जाने वाले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान का पुनरुद्देशित प्रयुक्त ऊपरी चरण है। इसरो ने एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा,  अंततः पीओईएम-4 मॉड्यूल ने वायुमंडल में पुनः प्रवेश किया और चार अप्रैल 2025 को भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न आठ बजकर तीन मिनट पर हिंद महासागर में टकराया।  पीओईएम-4 को पृथ्वी के वायुमंडल में लाने की मुख्य वजह अंतरिक्ष मलबे की वृद्धि को रोकना है। इसरो के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।  30 दिसंबर 2024 को इसरो के पीएसएलवी- सी60 ने जुड़वां स्पेडेक उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था और 475 किमी की ऊंचाई पर उपग्रहों को स्थापित करने के बाद पीएसएलवी सी 60 के विशेष रूप से तैयार किए गए ऊपरी चरण पीओईएम-4 को भी लगभग उसी कक्षा में रखा गया। अंतरिक्ष में बढ़ रहे मलवे को कम करने के उद्देश्य से इसे वापस पृथ्वी पर लाया गया।

इसके बाद, इसरो ने बताया कि पीओईएम-4 के इंजन को सक्रिय करके 55.2° झुकाव वाली लगभग 350 किमी की गोलाकार कक्षा में ले जाया गया। इसके बाद आकस्मिक टूट-फूट की किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए पीएस-4 को निष्क्रिय कर उसमें से ईधन बाहर निकाला गया। इसरो ने कहा, अपने मिशन जीवनकाल के दौरान पीओईएम-4 ने कुल 24 पेलोड्स (14 इसरो के और 10 विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के) को स्थान दिया था और सभी पेलोड्स ने अपेक्षित रूप से कार्य किया। जिससे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्राप्त हुआ।

 

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