Sunday, December 21, 2025

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पूर्व IAS की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे पूर्व आईएएस अफसर अनिल टुटेजा की ईडी की तरफ से गिरफ्तारी में परेशान करने वाली बातें दिखाई देती हैं।जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले के तथ्यों को पहले से स्पष्ट बताया और कहा कि 20 अप्रैल को हुई पूर्व नौकरशाह की गिरफ्तारी में परेशान करने वाली चीजें हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (अनिल टुटेजा) 20 अप्रैल 2024 को शाम करीब 4.30 बजे रायपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कार्यालय में बैठे थे। सबसे पहले, उन्हें रात 12 बजे ईडी के सामने पेश होने का निर्देश देते हुए समन भेजा गया।’’बेंच ने कहा, ‘‘इसके बाद, जब वह एसीबी के कार्यालय में थे, तभी उन्हें एक और समन भेजा गया, जिसमें उन्हें शाम 5.30 बजे ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया। इसके बाद ईडी उन्हें वैन में अपनी बिठाकर ईडी के कार्यालय ले गई     और रात भर पूछताछ की गई। सुबह 4 बजे टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया गया। तथ्य काफी स्पष्ट हैं।’’ सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद टुटेजा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और अन्य वकीलों को अपील वापस लेने की अनुमति दे दी और उन्हें मामले में जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट प्रदान कर दी।

बेंच ने निर्देश दिया, ‘‘जमानत के लिए आवेदन करने की छूट के साथ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को वापस लिए जाने के साथ मामले का निपटारा किया जाता है। अगर मामले के विशिष्ट तथ्यों पर विचार करते हुए ऐसा कोई आवेदन किया जाता है, तो संबंधित विशेष अदालत जमानत आवेदन के निपटारे को आवश्यक प्राथमिकता देगी।’’

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बेंच को बताया कि एजेंसी ने ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उपाय किए हैं और इससे जुड़ी एक प्रेस विज्ञप्ति 29 अक्तूबर 2024 को जारी की गई थी।

मामले में सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को ईडी की तरफ से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले को पहले ही रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि ईडी ने तीन दिन बाद उन्हीं तथ्यों और सामग्री के आधार पर एक नई ईसीआईआर (शिकायत) दर्ज की। इस पर जस्टिस ओका ने पूछा कि क्या ईडी दूसरे मामले को दर्ज करने के लिए पहली ईसीआईआर की उसी सामग्री पर भरोसा कर सकता है, जिसे रद्द कर दिया गया था।

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