सियोल।
दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ उत्तर कोरिया के ऊपर ड्रोन उड़ाने के मामले में औपचारिक मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी गई है। अदालत ने माना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय नियमों और अंतर-कोरियाई समझौतों का उल्लंघन हो सकता है।
यह मामला उस समय का है जब यून सुक-योल राष्ट्रपति पद पर थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर कोरिया की सीमा के भीतर जासूसी ड्रोन भेजने की सैन्य कार्रवाई की अनुमति दी थी। उत्तर कोरिया ने उस समय इस घटना को अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए कड़ी चेतावनी जारी की थी और सैन्य सतर्कता बढ़ा दी थी।
सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि यून सुक-योल के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के उल्लंघन से जुड़े प्रावधानों के तहत मामला चलाया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार के उस फैसले से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ा और शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा।
मामले की सुनवाई अगले महीने शुरू होगी। अगर यून सुक-योल दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें पांच साल तक की सजा या भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यून ने राष्ट्रपति रहते हुए सैन्य शक्ति का दुरुपयोग किया और कोरिया प्रायद्वीप को संभावित संघर्ष की स्थिति में धकेल दिया। दूसरी ओर, यून के समर्थकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई कर रही है।
रक्षा मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि उस समय उठाए गए कदम केवल दक्षिण कोरियाई सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए थे, क्योंकि उत्तर कोरियाई ड्रोन पहले दक्षिण कोरिया के हवाई क्षेत्र में घुसे थे।
उल्लेखनीय है कि यून सुक-योल के कार्यकाल में उत्तर और दक्षिण कोरिया के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे थे। उनकी सरकार ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों और परमाणु गतिविधियों के जवाब में कई बार कड़ा रुख अपनाया, जिसके चलते दोनों देशों के बीच संवाद लगभग ठप पड़ गया था।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मुकदमा दक्षिण कोरिया की राजनीति में नए विवाद का केंद्र बन सकता है। पूर्व राष्ट्रपति पर मुकदमा चलने से न केवल सत्ताधारी पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है, बल्कि आने वाले चुनावों में इसका राजनीतिक असर भी गहरा पड़ सकता है।





