बांग्लादेश की एक अदालत ने आज देशद्रोह के एक मामले में पूर्व इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास को जमानत दे दी। बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद से वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुई हिंसा के खिलाफ चिन्मय एक प्रमुख आवाज बनकर उभरे थे। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद उनके अनुयायी सड़क पर उतर आए थे। भारत ने भी मामले को लेकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए चिंता व्यक्त की थी।
चंदन कुमार धर, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है, सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव इस्कॉन के नेता हैं। इस्कॉन चटगांव से पता चला कि 37 साल के चिन्मय कृष्ण चटगांव के सतकानिया उप जिला से हैं। वे अपने धार्मिक भाषणों के लिए जाने जाते हैं। इन्ही भाषणों के कारण उन्होंने कम उम्र में ही धार्मिक उपदेशक के रूप में जाना जाने लगा। इसके चलते उन्हें ‘शिशु वक्ता’ उपनाम भी मिला। चिन्मय कृष्ण दास 2016 से 2022 तक इस्कॉन के चटगांव मंडल सचिव रहे। वे 2007 से चटगांव के हथजारी में पुंडरीक धाम के प्रधानाचार्य भी रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चिन्मय को इस्कॉन में उनके पद से निलंबित कर दिया गया था।
5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। देश में सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही बड़े पैमाने पर हिंदू घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। इसके जवाब में यह मंच शुरू किया गया और चिन्मय दास को इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया। बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर इस मंच के द्वारा हिंदुओं की आवाज को उठाया जाता है। चिन्मय ने इसी मंच के द्वारा आंदोलन के जरिए सनातन जागरण मंच ने चटगांव और रंगपुर में बड़ी रैलियां आयोजित कीं। रैलियों में चिन्मय ने हिंदू समुदाय के अधिकारों के बारे में बात करते हुए कई भाषण दिए थे।
पिछल साल 25 अक्तूबर को चिन्मय और 18 अन्य लोगों पर चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप लगा। 30 अक्तूबर की रात को कोतवाली थाने में चिन्मय और 18 अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया था।