रूस और उत्तर कोरिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देते हुए दो वर्षों बाद पहली बार रूसी विमान उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग पहुंचा। रविवार को नॉर्डविंड एयरलाइंस की सीधी उड़ान मॉस्को के शेरेमेचेवो एयरपोर्ट से रवाना हुई, जिसमें 400 से अधिक यात्री सवार थे। यह कदम दोनों देशों के बीच मजबूत होते सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का स्पष्ट संकेत है।
मासिक उड़ान से मजबूत होंगे द्विपक्षीय रिश्ते
रूस के परिवहन मंत्रालय के अनुसार, मास्को और प्योंगयांग के बीच अब हर महीने एक नियमित वाणिज्यिक उड़ान संचालित की जाएगी। आवश्यकता और मांग के अनुसार इसकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। यह सेवा राजनयिक संबंधों के साथ-साथ पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा देने का काम करेगी।
उत्तर कोरियाई रिसॉर्ट को मिल रहा रूसी समर्थन
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में उत्तर कोरिया के वॉनसान-कालमा बीच रिसॉर्ट का दौरा किया था। यह उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। लावरोव ने रूसी नागरिकों को उत्तर कोरिया में पर्यटन के लिए प्रेरित करने का आश्वासन भी दिया। यह रिसॉर्ट करीब 20,000 लोगों को ठहराने की क्षमता रखता है और किम इसे आर्थिक पुनरुद्धार का साधन बनाना चाहते हैं।
कोरोना के बाद सीमित स्तर पर खुलने लगा उत्तर कोरिया
कोविड-19 महामारी के दौरान उत्तर कोरिया ने अपनी सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी थीं। लेकिन अब धीरे-धीरे वह अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की ओर लौट रहा है। रूस के साथ शुरू हुई यह उड़ान ‘रीओपनिंग’ की ओर पहला व्यावहारिक कदम माना जा रहा है।
पहले व्लादिवोस्तोक से उड़ान शुरू हुई थी
इससे पहले 2023 में व्लादिवोस्तोक-प्योंगयांग हवाई सेवा फिर से शुरू की गई थी, जो महामारी के कारण बंद कर दी गई थी। अब मास्को से सीधी उड़ान इस दिशा में एक और बड़ा कदम है।
सैन्य सहयोग ने बढ़ाई वैश्विक चिंता
रूस और उत्तर कोरिया के बीच बीते कुछ वर्षों में सैन्य और रणनीतिक सहयोग में भी तेजी आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर कोरिया ने यूक्रेन युद्ध के लिए रूस को हथियार और मानवीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस सहयोग पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
राजनीतिक संकेतों से ज्यादा, यह है रणनीतिक बढ़त
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उड़ान सेवा सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और साझा हितों का प्रमाण है। चाहे वह सैन्य समर्थन हो, पर्यटन को बढ़ावा देना हो या वैश्विक मंच पर पश्चिमी देशों को चुनौती देना — पुतिन और किम जोंग उन की साझेदारी अब नई ऊंचाइयों पर पहुंचती दिख रही है।