केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुणे में श्रीमंत बाजीराव पेशवा प्रथम की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने बाजीराव पेशवा की रणनीतिक कुशलता, अजेय वीरता और स्वराज के प्रति उनकी निष्ठा को भावपूर्ण शब्दों में स्मरण किया।
🔹 बाजीराव: अजेय और अमर योद्धा
अमित शाह ने कहा:
“पूरे 20 वर्षों के सैन्य जीवन में बाजीराव पेशवा को किसी ने घोड़े से उतरते नहीं देखा। उन्होंने 41 युद्ध लड़े और हर बार विजयी होकर लौटे। वह न केवल एक योद्धा, बल्कि एक विजनरी रणनीतिकार भी थे।”
🔹 स्वराज और आत्मगौरव के प्रतीक
गृह मंत्री ने कहा कि बाजीराव पेशवा ने गुलामी की प्रतीकों को ध्वस्त कर स्वतंत्रता का दीप प्रज्ज्वलित किया। उन्होंने Saturday Wada का निर्माण, जल प्रबंधन, और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष जैसे ऐतिहासिक कार्यों को भी याद किया।
“बाजीराव पेशवा ने कभी भी युद्ध अपने लिए नहीं लड़ा, बल्कि हर युद्ध देश, स्वराज और धर्म के लिए लड़ा,” – अमित शाह
🔹 एनडीए को बताया प्रतिमा की सबसे उपयुक्त जगह
शाह ने कहा कि बाजीराव पेशवा की प्रतिमा का पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में स्थापित होना प्रतीकात्मक और प्रेरणादायक है, क्योंकि यह स्थान भविष्य के सैनिकों का गढ़ है। उन्होंने कहा,
“हमारे भावी सैनिक इस प्रतिमा से प्रेरणा लेकर बाजीराव की जीवनी पढ़ेंगे और ऐसे योद्धा की गाथा को अपने अंदर आत्मसात करेंगे।”
🔹 ‘विकास भी, विरासत भी’ की अवधारणा
अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के विजन का हवाला देते हुए कहा कि “विकास भी और विरासत भी” हमारी पहचान है। उन्होंने युवाओं को अपनी हजारों साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया।
🔹 शिवाजी से पेशवा तक स्वतंत्रता की मशाल
शाह ने छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का उल्लेख करते हुए कहा:
“अगर पेशवाओं ने शिवाजी महाराज द्वारा शुरू की गई स्वतंत्रता की लड़ाई को 100 सालों तक न आगे बढ़ाया होता, तो आज भारत की मूल पहचान ही न बची होती।”
🔹 युद्ध की अमर नीति
अंत में गृह मंत्री ने कहा कि युद्ध की कुछ नीतियां कभी कालबाह्य नहीं होतीं – रणनीति, तेज़ी, समर्पण, देशभक्ति और बलिदान। और इन सभी गुणों का सबसे सशक्त उदाहरण बाजीराव पेशवा ही हैं।
पुणे में अमित शाह का संबोधन: “बाजीराव पेशवा वो योद्धा थे जिन्हें 20 वर्षों तक घोड़े से उतरते किसी ने नहीं देखा”
