प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के दौरान एक विशेष क्षण तब सामने आया, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को रूसी भाषा में प्रकाशित श्रीमद्भगवद्गीता की प्रति उपहार स्वरूप भेंट की। यह उपहार न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया, बल्कि भारत–रूस के गहरे और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक भी बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पुस्तक भेंट करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया को जीवन, कर्तव्य और सत्य के मार्ग का संदेश देती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुतिन जैसे वैश्विक नेता तक गीता का यह संदेश पहुँचना भारत के लिए गौरव की बात है। मोदी ने यह भी कहा कि भारत और रूस के रिश्ते आपसी सम्मान और विश्वास की नींव पर आधारित हैं, और यह उपहार दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करता है।
बताया जा रहा है कि पुतिन ने इस उपहार को विशेष भाव से स्वीकार किया और भारतीय दर्शन तथा ज्ञान परंपरा के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त की। दोनों नेताओं की इस अनौपचारिक लेकिन महत्त्वपूर्ण बातचीत को द्विपक्षीय संबंधों में गर्मजोशी और सहयोग की भावना का संकेत माना जा रहा है।
इस मुलाकात के दौरान जहां सामरिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई, वहीं ऐसी सांस्कृतिक पहल ने बैठक को एक व्यक्तिगत और भावनात्मक आयाम भी दिया। विश्लेषकों का कहना है कि यह उपहार भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ और सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर आगे बढ़ाने का एक सार्थक प्रयास भी है।





