इस्राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष विराम समझौते के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी बीच इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा से फलस्तीनी आबादी को बाहर निकालने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने ट्रंप के प्रस्ताव को गाजा के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में एकमात्र व्यव्हारिक योजना बताया है। बता दें कि पहले से ही आलोचना का शिकार हो रहे इस योजना को अब नेतन्याहू के समर्थन के बाद अरब देशों में विरोध की आशंका तेज होती हुई दिख रही है।
इस्राइल के प्रधानमंंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ इस योजना पर चर्चा की। रुबियो ने हमास को लेकर इस्राइल के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि हमास को समाप्त किया जाना चाहिए। बता दें कि यह योजना गाजा में इस्राइल द्वारा हमास को हराने के बाद फलस्तीनियों के पुनर्वास की है, लेकिन इस पर आलोचनाएं भी उठ रही हैं। अधिकार समूहों का कहना है कि यह योजना फलस्तीनी लोगों को मजबूरी में निकालने जैसा है। इस योजना को लेकर नेतन्याहू ने कहा कि गाजा से प्रवास स्वैच्छिक होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद कई लोग इसे जबरदस्ती मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा के लिए उनका और ट्रंप का दृष्टिकोण समान है। उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को इस्राइल पर हमास के हमले के बाद युद्ध जारी रखने की बात भी की। इस युद्ध ने 16 महीने से अधिक समय तक संघर्ष को जारी रखा है। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि वे युद्धविराम के बाद लड़ाई फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने कहा कि जब तक हमास मौजूद है, शांति असंभव है और उसे समाप्त करना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप का उद्देश्य अरब देशों पर युद्ध के बाद अपनी योजना लागू करने का दबाव डालना था, जिससे इस्राइल को स्वीकार्य समाधान मिल सके। हालांकि चर्चा इस बात की भी तेज है कि दूसरे चरण की बातचीत जल्द शुरू होने वाली है, जिसमें हमास फलस्तीनी कैदियों की रिहाई, स्थायी युद्धविराम, और इस्राइली बलों की वापसी पर चर्चा करेगा। हालांकि, यह बातचीत अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।
चलिए अब ट्रंप के इस योजना पर अरब देशों के विचार और समर्थन के समीकरण को समझते है। देखा जाए तो ये स्पष्ट है कि रुबियो की यात्रा के दौरान, अरब नेताओं से इस योजना के खिलाफ विरोध का सामना किया जा सकता है, क्योंकि इस प्रस्ताव में गाजा का पुनर्विकास अमेरिकी स्वामित्व में करने का प्रस्ताव है। मिस्र और अन्य अरब देशों ने फलस्तीनी विस्थापन का विरोध किया है और वे गाजा के पुनर्निर्माण की योजना पर काम कर रहे हैं, वो भी बिना फलस्तीनियों के सामूहिक विस्थापन के।