प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 15-16 अक्तूबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से दूरी बना सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में बढ़ी आतंकी वारदात से नाराज भारत अपना प्रतिनिधि भेजने से भी परहेज कर सकता है। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में पीएम मोदी के पाकिस्तान जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट को अटकलबाजी करार दिया। मंत्रालय ने कहा, ऐसी खबरें चलाई जा रही हैं कि पीएम मोदी एससीओ की बैठक में शामिल हो सकते हैं। इस मामले में न आधिकारिक फैसला किया गया है और न ही मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है। मेजबान पाकिस्तान ने एससीओ बैठक के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा है। 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत बंद है। इस घटना के बाद भारत ने लगातार कहा है कि आतंकवाद के जारी रहते वह पाकिस्तान से कोई वार्ता नहीं करेगा।गौरतलब है कि पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान आने का न्योता दिया है। यह बैठक इस साल अक्तूबर में इस्लामाबाद में होनी है और इस बैठक में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख शामिल होंगे।
पाकिस्तान 15-16 अक्तूबर को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक की मेजबानी करेगा। शंघाई सहयोग संगठन की मेजबानी बारी-बारी से इसके सदस्य देशों को मिलती है। इसी के तहत इस बार बैठक की मेजबानी की जिम्मेदारी पाकिस्तान को मिली है। शंघाई सहयोग संगठन की राष्ट्र प्रमुखों की बैठक में पीएम मोदी शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस साल कजाखस्तान में हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी शामिल नहीं हुए थे क्योंकि यह बैठक आम चुनाव के समय हुई थी। पीएम मोदी की जगह उस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे। अभी तक ये साफ नहीं है कि पाकिस्तान में होने जा रही बैठक में नेताओं को वर्चुअल संबोधित करने की सुविधा मिलेगी या नहीं।
एससीओ में चीन, रूस के साथ भारत और पाकिस्तान पूर्ण सदस्य हैं। एससीओ में चीन का दबदबा है। चीन ने इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बीआरआई को प्रमोट करने के लिए किया था। हालांकि भारत ने कभी भी चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं किया है और बीते साल भी एससीओ के संयुक्त साझा बयान में भारत ने बीआरआई का जिक्र नहीं करने दिया था। एससीओ एकमात्र बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें भारत और पाकिस्तान साथ काम करते हैं।