पाकिस्तान की सैन्य संरचना में बड़ा बदलाव करते हुए जनरल सैयद असीम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) नियुक्त किया गया है। यह नई जिम्मेदारी पाकिस्तान की सेना के भीतर एक व्यापक पुनर्संरचना का हिस्सा है, जिसमें सैन्य नेतृत्व को एकीकृत कमान के तहत लाने की कोशिश की जा रही है। मुनीर की यह पदोन्नति पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति और रक्षा नीति के लिए एक अहम पड़ाव मानी जा रही है।
इसी बीच, मुनीर की नियुक्ति पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं। अमेरिका के 44 सांसदों ने वाशिंगटन में एक पत्र जारी कर बाइडेन प्रशासन से पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर—जिन्हें शक्तिशाली व्यक्तित्व और सैन्य निर्णयों में प्रभावशाली माना जाता है—पर वीजा प्रतिबंध लगाने और उनकी अमेरिका में मौजूद संभावित संपत्तियों को जब्त करने पर विचार करने की मांग की है।
सांसदों का आरोप है कि पाकिस्तान में हाल के वर्षों के दौरान मानवाधिकार हनन, राजनीतिक दमन और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करने में सेना की भूमिका बढ़ी है। उनका कहना है कि इन परिस्थितियों में शीर्ष सैन्य नेतृत्व को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका को अपनी विदेश नीति में मानवाधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसी के तहत ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए।
पाकिस्तान में मुनीर की नई नियुक्ति को कई विश्लेषक देश की घरेलू राजनीति और क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों के संदर्भ में देख रहे हैं। उनका मानना है कि नई संरचना सेना के भीतर शक्ति संतुलन को बदल सकती है और इससे सरकार तथा सैन्य नेतृत्व के बीच संबंधों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठे विरोध के स्वर पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक चुनौती के रूप में सामने आए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका इस मांग पर क्या रुख अपनाता है और पाकिस्तान इस अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कैसे करता है।





