Wednesday, November 12, 2025

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पाकिस्तान में बड़ा संवैधानिक बदलाव: 27वां संशोधन पारित, ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ का नया पद सृजित; संवैधानिक अदालत की स्थापना को भी मंजूरी

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को देश के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दे दी। बहुप्रतीक्षित 27वां संशोधन विधेयक भारी बहुमत से पारित हो गया है, जिसके तहत अब एक नया उच्च सैन्य पद ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ (CDF) बनाया जाएगा। साथ ही देश में पहली बार ‘संवैधानिक अदालत’ (Constitutional Court) की भी स्थापना की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह संशोधन पाकिस्तान की सैन्य और न्यायिक व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
संसद में प्रस्तुत इस विधेयक के पक्ष में 228 और विरोध में 72 मत पड़े। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा और संस्थागत सुधारों की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय” बताया। संशोधन पारित होने के साथ ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ का नया ढांचा
संशोधन के तहत पाकिस्तान की तीनों सेनाओं—थलसेना, नौसेना और वायुसेना—की कमान के ऊपर अब एक एकीकृत पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाया जाएगा। यह पद तीनों सेवा प्रमुखों के समन्वय, रणनीतिक नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की निगरानी करेगा। सूत्रों के अनुसार, यह पद सेना प्रमुख से भी उच्च स्तर का होगा और सीधे प्रधानमंत्री तथा नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को रिपोर्ट करेगा।
विपक्ष ने इस कदम को सेना को और अधिक केंद्रीकृत शक्ति देने वाला बताया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के कुछ सांसदों ने इसे “लोकतांत्रिक संतुलन के लिए खतरा” कहा। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह ढांचा नाटो देशों जैसी “संयुक्त सैन्य कमान प्रणाली” की दिशा में कदम है।
संवैधानिक अदालत की स्थापना
27वें संशोधन के तहत पाकिस्तान में एक संवैधानिक अदालत (Constitutional Court) की भी स्थापना की जाएगी, जो संसद, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों से जुड़े विवादों की सुनवाई करेगी। अब तक यह जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट निभा रहा था। नई अदालत में पांच न्यायाधीश होंगे, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे। इसका उद्देश्य संवैधानिक मामलों में तेज़ न्याय सुनिश्चित करना बताया गया है।
विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संशोधन पाकिस्तान के संस्थागत ढांचे को नया आकार देगा। हालांकि, इससे सत्ता संतुलन में परिवर्तन की संभावना भी बढ़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इस नए पद का राजनीतिकरण हुआ, तो नागरिक-सैन्य संबंधों में नया तनाव पैदा हो सकता है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन सुधारों का उद्देश्य “स्थायी राजनीतिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा” सुनिश्चित करना है। आने वाले हफ्तों में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के हस्ताक्षर के बाद संशोधन आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा।

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