Thursday, October 23, 2025

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पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर बढ़ते संघर्ष के पीछे टीटीपी चीफ की भूमिका

इस्लामाबाद/काबुल। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर हाल ही में हुई सबसे गंभीर झड़पों के पीछे एक प्रमुख शख्स का हाथ है—तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का चीफ नूर वली महसूद। पाकिस्तान का आरोप है कि नूर वली और टीटीपी के कई वरिष्ठ नेता अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं और वहां से पाकिस्तान पर आतंकवादी हमले अंजाम देते हैं। अफगान तालिबान ने इन आरोपों से इनकार किया है।
काबुल में हुआ हवाई हमला
पिछले दिनों पाकिस्तान ने काबुल में नूर वली महसूद को निशाना बनाकर एक लैंड क्रूजर वाहन पर हवाई हमला किया। कई चरमपंथी नेताओं का दावा है कि नूर वली इस हमले में बाल-बाल बच गए। पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की। हमले के बाद नूर वली ने एक ऑडियो संदेश जारी किया, जिसने सीमा पर स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया।
नूर वली महसूद का उदय और टीटीपी की मजबूती
नूर वली महसूद का जन्म पाकिस्तान में हुआ और 2018 में उन्होंने टीटीपी का नेतृत्व संभाला। अमेरिकी हमलों में टीटीपी के तीन पूर्व शीर्ष नेताओं की मौत के बाद नूर वली ने संगठन को फिर से खड़ा और मजबूत किया। अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी को अफगानिस्तान में बेस और हथियार मिले, जिनके दम पर पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हमले तेज हो गए।
विश्लेषकों का कहना है कि नूर वली ने संगठन की रणनीति में बदलाव किया और कूटनीतिक कौशल से विरोधी गुटों को एकजुट किया।
धार्मिक विद्वान और लेखक
नूर वली महसूद धार्मिक विद्वान हैं और तीन किताबों के लेखक हैं, जिनमें 700 पन्नों का धार्मिक ग्रंथ भी शामिल है। वह धर्म और राष्ट्रवाद को जोड़ते हैं और दावा करते हैं कि टीटीपी का विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से चला आ रहा है।
पश्तून पहचान और अफगान तालिबान से ताल्लुक
नूर वली पश्तून जातीय समूह से ताल्लुक रखते हैं, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों में फैला है। अफगान तालिबान भी मुख्यतः पश्तून हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नूर वली पाकिस्तान के कुछ कबीलाई इलाकों में समानांतर सरकार चलाने की रणनीति रखते हैं, लेकिन पाकिस्तान की सेना और सरकार इस पर पूरी तरह विरोधी हैं।
टीटीपी की लक्ष्य प्राथमिकताएं
टीटीपी ने पहले मस्जिदों और स्कूलों पर हमले किए। 2014 में पाकिस्तान के आर्मी स्कूल पर हमला इसी संगठन की कार्रवाई थी। नूर वली के निर्देश पर टीटीपी ने बाद में नागरिकों को निशाना बनाना बंद कर दिया और अब इसके निशाने पर पाकिस्तानी सेना और पुलिस हैं। नूर वली का कहना है कि पाकिस्तानी सेना इस्लाम विरोधी है और राजनीति में दखल देती है। वहीं सेना का आरोप है कि टीटीपी ने इस्लाम को विकृत किया है।
अंतरराष्ट्रीय आरोप और अफगानिस्तान का समर्थन
पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी को अफगानिस्तान में संरक्षण मिला है और इसे भारत की ओर से समर्थन भी मिलता है, जिसे नई दिल्ली ने सिरे से खारिज किया है।
नूर वली महसूद और टीटीपी की गतिविधियों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दशकों में सबसे गंभीर सीमा संघर्ष को जन्म दिया है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चुनौती बने हुए हैं।

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