Wednesday, July 2, 2025

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पहली बार स्वास्थ्य पर मरीजों की जेब से ज्यादा सरकार का खर्च

देश में पहली बार स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का खर्च मरीज की जेब से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा फायदा आम आदमी को हुआ है। केंद्र की ओर से जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 10 साल में स्वास्थ्य पर सरकार का खर्च लगातार बढ़ा है। साल 2013 में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर सरकार का खर्च जहां करीब एक हजार रुपये था, वहीं साल 2021-22 में बढ़कर यह तीन हजार से ज्यादा हो गया। इसकी वजह से आम आदमी की जेब का खर्च करीब 25 फीसदी तक कम हुआ है। साल 2018 में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के जरिये न सिर्फ लोगों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी है, बल्कि 1.70 लाख से भी अधिक आयुष्मान स्वास्थ्य मंदिरों की स्थापना के अलावा हाल ही में 70 वर्ष और उससे अधिक सभी बुजुर्गों को आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा का लाभार्थी बनाने की घोषणा की है।वर्ष 2013-14 में प्रति व्यक्ति सरकार का स्वास्थ्य पर खर्च 1,042 रुपये रहा जो 2021-22 तक बढ़कर 3,169 रुपये तक पहुंचा है। यानी 2013 से 2021 के बीच सरकार का स्वास्थ्य खर्च 28.6% से बढ़कर 48% तक पहुंचा है। आम आदमी का जेब खर्च 64.2 से कम होकर 39.4% रह गया।

रिपोर्ट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा पर निवेश में यह काफी अहम बढ़ोतरी है जो देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अहम बदलाव का प्रतीक है। पहली बार सरकारी खर्च निजी क्षेत्र की तुलना में आगे निकला है।

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