पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपनी रणनीति तेज कर दी है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने संगठन से लेकर जमीनी स्तर तक की तैयारियों को मजबूती देने के लिए कई शीर्ष नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं। इसके साथ ही राज्य में भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को और सक्रिय करने पर विशेष जोर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व ने राज्य में चुनावी समीकरणों और स्थानीय चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए जिम्मेदारियों का नया बंटवारा किया है। कई केंद्रीय नेताओं को विभिन्न क्षेत्रों की निगरानी का दायित्व दिया गया है ताकि बूथ स्तर तक पार्टी की पकड़ को मजबूत किया जा सके। इन नेताओं को संगठन विस्तार, मतदाताओं से संवाद बढ़ाने और स्थानीय मुद्दों के समाधान जैसे कामों पर खास ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।
पार्टी का मानना है कि राज्य में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से है, ऐसे में भाजपा अपने संगठन को ऐसी स्थिति में लाना चाहती है जिससे वह हर विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला कर सके। इसी उद्देश्य से पार्टी ने स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ाने और कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाने पर भी जोर दिया है।
राज्य इकाई के पदाधिकारियों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की यह कोशिश पश्चिम बंगाल में पार्टी को नई ऊर्जा देने का काम करेगी। हाल के महीनों में राज्य में हुई राजनीतिक गतिविधियों और विभिन्न जिलों में भाजपा के समर्थन आधार में हुए उतार-चढ़ाव को देखते हुए पार्टी अब अधिक संगठित रूप से आगे बढ़ना चाहती है।
पार्टी रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि बंगाल में अगले चुनाव भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए संगठन को मजबूत करना, कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना और जनता से संवाद बढ़ाना भाजपा की योजनाओं के केंद्र में है। शीर्ष नेताओं की नियुक्ति को इसी व्यापक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
भाजपा की इन तैयारियों ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर पार्टी अपने कैडर को सक्रिय रखने में सफल होती है, तो आने वाले चुनावों में मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। फिलहाल भाजपा नेतृत्व राज्य में “कमल खिलाने” के लक्ष्य को लेकर पूरी तरह से गंभीर दिखाई दे रहा है।





