Wednesday, March 12, 2025

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परीक्षाओं में पारदर्शिता होनी ही नहीं, दिखनी भी चाहिए

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि परीक्षाओं और साक्षात्कारों के संचालन में सार्वजनिक जवाबदेही और पारदर्शिता न केवल होनी चाहिए, बल्कि दिखनी भी चाहिए। उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के 25वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर सेवानिवृत्ति के बाद भर्ती और सेवा विस्तार देने की प्रवृत्ति छोड़ने की जरूरत भी बताई। उपराष्ट्रपति ने सेवा विस्तार को अपनी बारी का इंतजार कर रहे प्रतिभाशाली लोगों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि विस्तार दर्शाता है कि कुछ लोग अपरिहार्य हैं, लेकिन अपरिहार्यता एक मिथक है। इस देश में प्रतिभा की भरमार है। कोई भी अपरिहार्य नहीं है। राज्य और केंद्रीय स्तर पर लोक सेवा आयोगों को ऐसी स्थितियों में अपनी भूमिका को लेकर दृढ़ रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, लोक सेवा आयोगों में नियुक्ति संरक्षण या पक्षपात से प्रेरित नहीं हो सकती। हमें अपनी अंतरात्मा के सामने खुद को जवाबदेह ठहराना चाहिए। हम लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को किसी विशेष विचारधारा या व्यक्ति से जुड़ा नहीं रख सकते। यह संविधान के ढांचे के सार और भावना के विरुद्ध होगा।

पेपर लीक पर चिंता जताते हुए धनखड़ ने कहा, आपको इस पर अंकुश लगाना होगा। यदि पेपर लीक होते रहेंगे तो चयन की निष्पक्षता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। पेपर लीक होना एक उद्योग बन गया है। लोग परीक्षाओं से डरते थे। यह कितना कठिन होगा। हम इसका समाधान कैसे करेंगे? अब उन्हें दो डर सता रहे हैं। एक परीक्षा का डर। दूसरा, लीक होने का डर। इसलिए जब वे परीक्षा की तैयारी के लिए कई महीनों और हफ्तों तक अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं और उन्हें लीक का झटका मिलता है।

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