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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Sunday, March 23, 2025

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न्यायिक जवाबदेही के मुद्दे का समाधान हो गया होता

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का नाम लिए बिना राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अगर संसद में सर्वसम्मति से पारित किए गए तंत्र को अनुमति दी गई होती तो न्यायिक जवाबदेही के मुद्दे का समाधान हो गया होता। 2014 में संसद से पारित एनजेएसी को 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने असांविधानिक करार दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने का मुद्दा कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने उठाया। इस पर सभापति ने कहा कि जिस तंत्र को इस सदन ने सर्वसम्मति से पारित किया था, बिना किसी मतभेद के, सरकार की पहल के समर्थन में थे। मैं उस ऐतहासिक कानून की मौजूदा स्थिति जानना चाहता हूं। इसे भारतीय संसद ने पास किया था, इसे देश के 16 राज्य विधानसभाओं का समर्थन मिला था और इस पर संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत माननीय राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उसे खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उस ऐतिहासिक कानून को इस संसद से अभूतपूर्व समर्थन मिला। उसने इस समस्या को बहुत गंभीरता से लिया था। यदि उस समस्या का समाधान पहले कर लिया गया होता तो शायद हमें इस प्रकार के मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता। सभापति ने कहा कि मुझे इस बात की चिंता है कि यह घटना घटित हुई और तुरंत सामने नहीं आई। यदि यह किसी राजनेता के साथ होता है तो वह तुरंत निशाने पर आ जाता है, जबकि किसी नौकरशाह या उद्योगपति के मामले में तत्काल प्रतिक्रिया दी जाती है। इसलिए, एक ऐसी प्रणाली आवश्यक है जो पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी हो।

सभापति ने कहा कि मैं सदन के नेता, विपक्ष के नेता से संपर्क करूंगा और इस मसले पर सुव्यवस्थित चर्चा के लिए मार्ग खोजूंगा। सदन के नेता सत्तारूढ़ दल के अध्यक्ष भी हैं और विपक्ष के नेता मुख्य विपक्षी दल के अध्यक्ष भी हैं। मुझे विश्वास है कि उनकी और अन्य सदस्यों की सलाह उपयोगी होगी।

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