विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक (नीट-यूजी) से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। इनमें 5 मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप वाली तथा परीक्षा फिर से कराने का निर्देश देने की मांग वाली याचिकाएं शामिल हैं। केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA),जो नीट- यूजी आयोजित करती है, ने हाल ही में शीर्ष अदालत को बताया कि परीक्षा को रद्द करना “अनुत्पादक” होगा और बड़े पैमाने पर किसी भी सबूत के अभाव में लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को “गंभीर रूप से खतरे में” डालेगा। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 8 जुलाई के मामलों की सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ नीट से संबंधित 38 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। पांच मई को हुई परीक्षा में करीब 24 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-अंडरग्रेजुएट (नीट- यूजी) आयोजित की जाती है। एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय 5 मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक से लेकर प्रतिरूपण तक कथित बड़े पैमाने पर कदाचार को लेकर छात्रों और राजनीतिक दलों द्वारा मीडिया बहस और विरोध प्रदर्शन के केंद्र में रहे हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और एनटीए ने शीर्ष अदालत में अलग-अलग हलफनामे दायर किए हैं, जिसमें उन याचिकाओं का विरोध किया गया है, जिनमें परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और इसमें शामिल सभी मुद्दों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। अपने जवाब में उन्होंने कहा है कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई ने विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को अपने हाथ में ले लिया है।
केंद्र ने शिक्षा मंत्रालय के एक निदेशक द्वारा दायर अपने प्रारंभिक हलफनामे में कहा,” कि अखिल भारतीय परीक्षा में बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। मंत्रालय ने कहा, “परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में प्रश्न पत्र का प्रयास करने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवार गंभीर रूप से खतरे में पड़ जाएंगे।”





