अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों बेटों — एरिक ट्रंप और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर — से जुड़ी एक कंपनी ने संघीय सहायता की उम्मीद जताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस कंपनी न्यू अमेरिका एक्विजिशन 1 कॉर्प ने सोमवार को शेयर बाजार में दायर अपने सार्वजनिक दस्तावेजों में उल्लेख किया था कि उसे संघीय और राज्य सरकार से अनुदान व प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, दस्तावेज दायर होते ही विवाद भड़क उठा, जिसके बाद कंपनी ने आनन-फानन में अपने प्रॉस्पेक्टस से वह पंक्ति हटा दी। यह घटनाक्रम तब और ज्यादा गंभीर हो गया जब पता चला कि इस कंपनी के साथ ट्रंप के दोनों बेटे बतौर सलाहकार जुड़े हुए हैं और उन्हें लाखों डॉलर मूल्य के संस्थापक शेयर प्राप्त हो रहे हैं।
सवालों के घेरे में नैतिकता
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की कानून विशेषज्ञ कैथलीन क्लार्क, जो सरकारी नैतिकता मामलों की विशेषज्ञ मानी जाती हैं, ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“उन्होंने बस वह भाषा हटा दी है, लेकिन मंशा साफ दिख रही है — यह सार्वजनिक पद का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग करने की कोशिश है।”
कंपनी का मकसद और योजना
- न्यू अमेरिका एक्विजिशन 1 कॉर्प का कोई परिचालन व्यवसाय फिलहाल नहीं है।
- इसका उद्देश्य एक अमेरिकी विनिर्माण कंपनी का अधिग्रहण करना है।
- कंपनी 10 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से स्टॉक बेचकर 300 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,500 करोड़) जुटाने की योजना में है।
- यदि योजना सफल होती है, तो पहले ही दिन ट्रंप के बेटों की संपत्ति $50 मिलियन (लगभग ₹400 करोड़) तक पहुंच सकती है।
राजनीतिक और नैतिक बहस
यह विवाद ट्रंप परिवार के उस लंबे इतिहास को फिर उजागर करता है, जिसमें निजी व्यापार और सार्वजनिक पद की सीमाएं धुंधली होती दिखी हैं। राष्ट्रपति रहते हुए भी ट्रंप पर अपने व्यवसायिक हितों को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं।
इस मामले में भले ही कंपनी ने बाद में विवादित पंक्ति हटा दी हो, लेकिन संघीय मदद की उम्मीद जताना और कंपनी में ट्रंप परिवार की सक्रिय भूमिका एक बार फिर राजनीतिक नैतिकता को केंद्र में ले आया है।