यूक्रेन में लागू हुए नए भ्रष्टाचार–विरोधी कानून को लेकर देशभर में विरोध तेज़ हो गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून स्वतंत्र निगरानी एजेंसियों की स्वायत्तता को कमजोर करता है और सरकार की पकड़ बढ़ाता है। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन देश के कई शहरों में प्रदर्शन हुए।
इस विरोध के बीच राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि एजेंसियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाएगी और कानून में सुधार किए जाएंगे। उन्होंने प्रमुख भ्रष्टाचार रोधी और सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से मुलाकात की और घोषणा की कि इनकी सिफारिशों के आधार पर एक संशोधित विधेयक संसद में लाया जाएगा।
जेलेंस्की ने कहा – “चिंताओं को अनदेखा नहीं किया जाएगा“
राष्ट्रपति ने अपने वीडियो संबोधन में माना कि नए कानून को लेकर विवाद हुआ है और इसमें कुछ बिंदु पुनर्विचार योग्य हैं। उन्होंने कहा:
“हमने सभी चिंताओं का विश्लेषण किया है – कहाँ बदलाव चाहिए और कहाँ सख्ती। कानून का शासन मजबूत होगा और भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियों की स्वतंत्रता बनी रहेगी।”
हालांकि, जेलेंस्की ने यह स्पष्ट किया कि वह इस कानून को वापस नहीं लेंगे, जिसे उन्होंने पहले ही मंजूरी दे दी है। कानून इसी सप्ताह प्रभावी हुआ है।
क्या है विवाद?
नए कानून के तहत दो प्रमुख भ्रष्टाचार-रोधी संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण और निगरानी को बढ़ा दिया गया है।
यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून की आलोचना करते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र और पारदर्शिता को नुकसान पहुँचा सकता है।
आलोचकों का दावा है कि इससे सरकार और विशेषकर जेलेंस्की के करीबी लोगों को जांच में हस्तक्षेप का अवसर मिल सकता है।
अब तक का सबसे बड़ा विरोध, लेकिन सत्ता विरोधी स्वर नहीं
हालांकि प्रदर्शनकारियों ने जेलेंस्की के इस्तीफे की मांग नहीं की है, लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद यह सरकार के खिलाफ पहला बड़ा असंतोष बनकर उभरा है।
रूस के हमले तेज, युद्धविराम पर फिर विफल वार्ता
इस बीच, रूस–यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और रूसी सेना यूक्रेन की अग्रिम चौकियों पर दबाव बढ़ा रही है।
इसी सप्ताह इस्तांबुल में दोनों देशों की तीसरी वार्ता भी बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गई।
अमेरिका से सैन्य मदद को लेकर भी यूक्रेन की चिंताएं बनी हुई हैं, जबकि यूरोपीय सहयोगियों से अधिक समर्थन की उम्मीद जताई जा रही है।