Wednesday, April 2, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

नई शिक्षा नीति को लेकर सोनिया गांधी का केंद्र पर हमला

तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच नई शिक्षा नीति में हिंदी थोपने के लेकर छिड़े विवाद के बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली का नरसंहार समाप्त होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि नई शिक्षा नीति का मुख्य एजेंडा सत्ता का केंद्रीकरण (Centralization), व्यावसायीकरण (Commercialisation), निवेश को निजी क्षेत्र को सौंपना तथा पाठ्यपुस्तकों का सांप्रदायिकरण (Communalisation) करना है। सोनिया गांधी ने कहा कि ये तीन ‘सी’ आज भारतीय शिक्षा को बिगाड़ रहे हैं। एक अखबार में प्रकाशित लेख “द 3सी दैट हॉन्ट इंडियन एजुकेशन टुडे” में सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की शुरुआत ने एक ऐसी सरकार की वास्तविकता को छिपा दिया है जो भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन है। पिछले दशक में केंद्र सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में वह केवल तीन मुख्य एजेंडों के कार्यान्वयन को लेकर चिंतित है। इसमें पहला केंद्र सरकार के पास सत्ता का केंद्रीकरण; शिक्षा में निवेश का व्यावसायीकरण और निजी क्षेत्र को आउटसोर्सिंग तथा पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम और संस्थानों का सांप्रदायिकरण।कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पिछले 11 साल में केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली की पहचान अनियंत्रित केंद्रीकरण रही है, लेकिन इसके सबसे हानिकारक परिणाम शिक्षा के क्षेत्र में हुए हैं। केंद्र और राज्य के शिक्षा मंत्रियों वाले केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की सितंबर 2019 से कोई बैठक नहीं हुई है। एनईपी 2020 से शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन को अपनाने और लागू करने के बावजूद सरकार ने एक बार भी नीतियों के कार्यान्वयन को लेकर राज्य सरकारों से परामर्श करना उचित नहीं समझा।

सोनिया गांधी ने लेख में दावा किया कि सरकार अपनी आवाज के अलावा किसी अन्य की आवाज पर ध्यान नहीं देती। यहां तक कि उस विषय पर भी नहीं जो भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में है। संवाद की कमी के साथ-साथ धमकाने की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है। समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत मिलने वाले अनुदान को रोककर राज्य सरकारों को मॉडल स्कूलों की पीएम-एसएचआरआई (या पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लागू करने के लिए मजबूर करना, यह सरकार द्वारा किए गए सबसे शर्मनाक कामों में से एक है।सोनिया गांधी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2025 के दिशानिर्देशों के मसौदे को भी कठिन बताया। उन्होंने दावा किया कि इसमें राज्य सरकारों को उनके द्वारा स्थापित, वित्तपोषित और संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से पूरी तरह बाहर रखा गया है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने स्वयं को राज्यपालों के माध्यम से राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन में लगभग एकाधिकार शक्ति दे दी है। यह समवर्ती सूची के विषय को केंद्र सरकार के एकमात्र अधिकार में बदलने का प्रयास है और आज के समय में संघवाद के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में शिक्षा प्रणाली का व्यावसायीकरण खुलेआम हो रहा है। देश के गरीबों को सार्वजनिक शिक्षा से बाहर कर दिया गया है। उन्हें अत्यधिक महंगी तथा अनियमित निजी स्कूल प्रणाली के हाथों में धकेल दिया गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पूर्ववर्ती ब्लॉक अनुदान प्रणाली के स्थान पर उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) की शुरुआत की है।

Popular Articles