प्रदेश में नई विद्युत दरों का प्रस्ताव अब बिना पुरानी 4,300 करोड़ की देनदारी के ही भेजा जा सकता है। इस देनदारी की वसूली पर शासन स्तर पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। यूपीसीएल को 26 दिसंबर तक टैरिफ प्रस्ताव भेजना है। दरअसल, यूपी से बंटवारे के बाद बचे हुए 4,300 करोड़ रुपये या तो सरकार माफ कर सकती है या फिर उपभोक्ताओं से वसूल किए जा सकते हैं। बीते दिनों हुई बोर्ड बैठक में तय किया गया था कि इस पर फैसले के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति निर्णय लेगी। समिति में सचिव ऊर्जा और सचिव वित्त भी शामिल थे। इस नाते यूपीसीएल ने नियामक आयोग से समय बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर आयोग ने पहले 16 दिसंबर और फिर 26 दिसंबर तक का समय दिया था।अब समय नजदीक आ रहा, लेकिन इस 4,300 करोड़ पर कोई फैसला समिति नहीं ले पाई है।यूपीसीएल प्रबंधन अब इस हिसाब के बिना ही नया विद्युत दरों का प्रस्ताव बनाने की तैयारी में है। एक-दो दिन में कोई फैसला न हुआ तो 26 दिसंबर तक बिना इसके ही यूपीसीएल प्रस्ताव भेज देगा। इस प्रस्ताव पर आयोग जनसुनवाई करने के बाद नई विद्युत दरें तय करेगा, जो एक अप्रैल 2025 से राज्य में लागू होंगी।