राज्य के प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता लगातार गिरावट की ओर है। ताज़ा आकलन के अनुसार राजधानी देहरादून, काशीपुर और ऋषिकेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) चिंताजनक श्रेणी में पहुंच गया है। धूल कणों की बढ़ती मात्रा ने हवा की सेहत को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अस्थमा समेत श्वास संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण गतिविधियां, यातायात से उठने वाली धूल, तापमान में बदलाव और हवा की धीमी रफ्तार प्रदूषण की मुख्य वजह बन रही हैं। दिन में धूप और रात में हल्की ठंड के कारण हवा में मौजूद कण धरातल के पास ही जमे रह जाते हैं, जो प्रदूषण को और बढ़ाते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग की रिपोर्ट बताती है कि दून और काशीपुर में PM10 और PM2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा सामान्य स्तर से कहीं अधिक दर्ज की गई है। ऋषिकेश में भी घाट क्षेत्रों के आसपास और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में हालात खराब पाए गए हैं। मेडिकल विशेषज्ञों ने वृद्धजनों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और पहले से बीमार लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
शासन स्तर पर नगर निकायों को नियमित रूप से सड़क सफाई, जल छिड़काव और निर्माण स्थलों पर कवरिंग जैसे उपायों के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही लोगों से वाहन उपयोग कम करने, अनावश्यक जलाने की गतिविधियों पर रोक और मास्क पहनने की सलाह दी गई है, ताकि प्रदूषण के प्रभावों को कम किया जा सके।
पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि हालात पर तुरंत नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। उन्होंने दीर्घकालिक समाधान के तहत हरित क्षेत्रों को बढ़ाने, सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन और औद्योगिक गतिविधियों की सख्त निगरानी की आवश्यकता जताई है।





