Tuesday, August 5, 2025

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धरती की ‘लावा घड़ी’ ने दी चेतावनी: आइसलैंड में 600 साल बाद फटे ज्वालामुखी ने बढ़ाया वैश्विक जलवायु संकट का खतरा

आइसलैंड के रेयकनेस प्रायद्वीप में स्थित एक शांत पड़े ज्वालामुखी के 600 वर्षों बाद फटने की घटना ने वैश्विक जलवायु, पर्यावरण और मानव सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भूगर्भीय और जलवायु विशेषज्ञों ने इसे केवल स्थानीय आपदा नहीं, बल्कि धरती के भीतर बढ़ते तनाव का वैश्विक अलार्म करार दिया है।

3 अगस्त की रात को हुए इस लावा विस्फोट की पुष्टि आइसलैंडिक मेट्रोलॉजिकल ऑफिस (IMO) ने की है। विस्फोट के बाद प्रभावित क्षेत्रों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

वैज्ञानिकों की चिंता: धरती की चेतावनी

जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना धरती के भीतर लंबे समय से जमा हो रहे टेक्टोनिक तनाव का नतीजा है।

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) की सैटेलाइट मॉनिटरिंग में पहले ही जमीन की सतह पर असामान्य उभार और गैस उत्सर्जन दर्ज किया गया था। ESA के वोल्केनोलॉजिस्ट डॉ. फ्रेडरिक लेर्सन ने बताया कि इसका पैटर्न 1783 के लाकी विस्फोट से मिलता है, जिसने यूरोप और उत्तरी गोलार्ध में भारी जलवायु परिवर्तन किया था।

वैश्विक असर की आशंका

  • वायुमंडलीय वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखी से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड और राख यदि ऊपरी वायुमंडल में पहुंचती हैं तो यह ग्लोबल कूलिंग की प्रक्रिया को ट्रिगर कर सकती हैं।
  • नेचर जिओ साइंस पत्रिका के अनुसार, इससे बनने वाले सल्फेट एरोसोल्स मानसून चक्रवातों की दिशा और तीव्रता को बदल सकते हैं।
  • US Geological Survey ने इसे High Impact Eruption Event श्रेणी में रखा है — यानी एक ऐसा ज्वालामुखी विस्फोट, जिसका दीर्घकालिक वैश्विक असर हो सकता है।

 खाद्य सुरक्षा और जलवायु पर खतरा

विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर यह ज्वालामुखी लंबे समय तक सक्रिय रहा, तो इससे वैश्विक तापमान में 0.3 से 0.5°C तक की गिरावट हो सकती है।
इससे:

  • कृषि उत्पादन पर सीधा असर
  • खाद्य सुरक्षा पर संकट
  • मानसून और मौसमी चक्र में भारी गड़बड़ी संभव

 आइसलैंड की प्रधानमंत्री की चेतावनी

प्रधानमंत्री कैटरिन जैकब्सडॉटिर ने स्पष्ट रूप से कहा है, “यह कोई स्थानीय आपदा नहीं है। यह राख और गैसें हवाओं के जरिए यूरोप, अमेरिका और एशिया तक असर डाल सकती हैं।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सतर्कता बरतने की अपील की है।

 धरती का संदेश: लावा-घड़ी टिक-टिक कर रही है

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना भविष्य की एक श्रृंखला की शुरुआती कड़ी हो सकती है। इसे रोकना मानव के नियंत्रण में नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को सीमित करने के लिए वैश्विक सतर्कता और तैयारी आवश्यक है।

 

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