Wednesday, September 10, 2025

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देहरादून: नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने की तैयारी तेज, अब छात्र चुन सकेंगे पसंदीदा विषय; तकनीकी व भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम भी शामिल

देहरादून। प्रदेशभर के शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इस संबंध में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए हैं। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को न सिर्फ अपनी पसंद के विषय चुनने की छूट होगी, बल्कि उन्हें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम का भी लाभ मिलेगा। इससे छात्र किसी भी स्तर पर अपनी पढ़ाई को बीच में रोककर बाद में पुनः शुरू कर सकेंगे।

पाठ्यक्रम नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत तैयार होंगे

डॉ. रावत ने बैठक में कहा कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के तहत पाठ्यक्रम तैयार करने और लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को लचीली और आधुनिक शिक्षा प्रणाली उपलब्ध कराना है, ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खुद को साबित कर सकें।

तकनीकी विषयों को मिलेगा बढ़ावा

मौजूदा समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए छात्रों के लिए कई तकनीकी और रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इनमें ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) तकनीक, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), डाटा एनालिसिस, इमर्जिंग टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप और न्यू वेंचर क्रिएशन जैसे विषय शामिल होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पाठ्यक्रमों से छात्रों को न केवल तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि स्टार्टअप और उद्योग जगत में भी नए अवसर मिल सकेंगे।

भारतीय ज्ञान परंपरा भी होगी पाठ्यक्रम का हिस्सा

नई शिक्षा नीति का एक अहम पहलू यह भी है कि इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। डॉ. रावत ने कहा कि छात्रों को अपनी संस्कृति और परंपरा से जोड़ने के लिए ज्योतिष विज्ञान, आयुष विज्ञान, योग विज्ञान, वास्तु विज्ञान, कृषि, वानिकी एवं औद्यानिकी जैसे विषयों को भी सिलेबस का हिस्सा बनाया जाएगा।

शिक्षा को लचीला और समावेशी बनाने का लक्ष्य

शिक्षा विभाग का कहना है कि नई शिक्षा नीति का मकसद छात्रों को केवल डिग्री तक सीमित न रखकर उनके कौशल और व्यक्तित्व का समग्र विकास करना है। मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम और विविध पाठ्यक्रमों की उपलब्धता से छात्र अपनी रुचि और कैरियर की दिशा में स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकेंगे।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में एनईपी लागू की थी। अब उत्तराखंड सरकार इसे चरणबद्ध तरीके से लागू कर प्रदेश के शिक्षा ढांचे को अधिक लचीला, आधुनिक और भारतीयता से जुड़ा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

 

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