Sunday, September 8, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

देश में जल विद्युत परियोजनाएं लगाने आई नवरत्न कंपनियों का पलायन समेटे अपने दफ्तर

 

   एसजेवीएनएल और एनएचपीसी ने उत्तराखंड से अपने दफ्तर बंद कर दिए हैं। एनटीपीसी भी इसी राह पर है। एसजेवीएनएल लिमिटेड को राज्य में तीन प्रोजेक्ट मिले थे। इनमें से उत्तरकाशी में टोंस पर 60 मेगावाट की नैटवाड़ मोरी परियोजना पूरी होने के बाद हाल में कमिशन हो गई है। दूसरी उत्तरकाशी में टोंस पर ही बनने वाली 51 मेगावाट की जखोल सांकरी परियोजना और चमोली में अलकनंदा की सहायक पिंडर पर बनने वाली 252 मेगावाट की देवसारी डैम परियोजना अधर में लटकी हुई है। कोई आशा न देख कंपनी ने देहरादून से अपना रीजनल ऑफिस बंद कर दिया है। यहां जो भी ऑफिस थे, वह बेच दिए हैं।
एनटीपीसी, टीएचडीसी से ज्वाइंट वेंचर में 400 मेगावाट की कोटेश्वर एचपीपी और 1000 मेगावाट की पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड परियोजना अधर में है। इस पर करोड़ों रुपये का खर्च हो चुका है। 171 मेगावाट की लता तपोवन पर पहले सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद जल शक्ति मंत्रालय के अड़ंगे में फंसा है। एनटीपीसी का गौरीगंगा पर बनने वाला 260 मेगावाट का रूसियाबगड़ खसियाबाड़ा अधर में है। 600 मेगावाट की लोहारी नागपाला परियोजना पर 1000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद एनटीपीसी कामयाब नहीं हो पाई। कंपनी ने अपने सभी मुख्य दफ्तर उत्तराखंड से हटा दिए हैं।एनएचपीसी की राज्य में 94.2 मेगावाट की टनकपुर और 280 मेगावाट की धौलीगंगा-1 परियोजना संचालित हो रही हैं। पिथौरागढ़ में शारदा नदी पर बनने वाली 630 मेगावाट की गरबा तवाघाट परियोजना का सर्वे कार्य ही पूरा नहीं हो पाया है। गौरीगंगा पर प्रस्तावित 120 मेगावाट की गौरीगंगा-3ए, पिथौरागढ़ में ही धौलीगंगा पर प्रस्तावित 210 मेगावाट की धौलीगंगा इंटरमीडिएट स्टेज, गौरीगंगा पर प्रस्तावित 55 मेगावाट की करमोली लुम्टी तल्ली और धौलीगंगा पर प्रस्तावित 240 मेगावाट की चुंगार चाल परियोजनाएं आगे ही नहीं बढ़ पाई। कंपनी ने राज्य से अपना बिस्तर बोरिया समेट लिया है।

Popular Articles