देशभर में मतदाता सूची को अद्यतन और सटीक बनाने की दिशा में चुनाव आयोग ने विशेष पहल शुरू की है। आयोग ने आगामी महीने से विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है, जो वर्तमान में बिहार में चल रही पुनरीक्षण प्रक्रिया की तर्ज पर होगी।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह इस प्रक्रिया को संवैधानिक दायित्व मानते हुए, बिहार में जारी विशेष पुनरीक्षण को अनुमति दी है। यह पुनरीक्षण विशेष रूप से अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान और मतदाता सूची से निष्कासन के लिए किया जा रहा है।
क्या है विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया
विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक सटीक, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है। इसके अंतर्गत:
• अयोग्य या अवैध प्रवासियों को सूची से हटाया जाएगा,
• जन्मस्थान की जांच कर संदिग्ध नामों की छंटनी होगी,
• योग्य नागरिकों को सूची में सम्मिलित किया जाएगा।
चुनाव आयोग के अनुसार, 28 जुलाई को बिहार मामले की अगली सुनवाई के बाद ही देशभर में इस प्रक्रिया को लागू करने का अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राज्यों में पुरानी सूचियों की स्थिति
• दिल्ली: आखिरी विशेष पुनरीक्षण 2008 में हुआ था, जिसकी सूची अब राज्य चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
• उत्तराखंड: यहाँ 2006 के बाद से विशेष पुनरीक्षण नहीं हुआ है, और अब उस वर्ष की सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई है।
अवैध प्रवासियों पर केंद्रित कार्रवाई
इस पुनरीक्षण का एक अहम पहलू बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से अवैध रूप से आए प्रवासियों की पहचान करना भी है, ताकि मतदाता सूची की शुद्धता बनी रहे और केवल भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त हो।
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र महत्त्वपूर्ण पहल
• बिहार में इस वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
• असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष चुनाव होंगे।
इसलिए चुनाव आयोग की यह तैयारी राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित हो सकें।