वालबाग विकासखंड के देवलीखान गांव को अब “मशरूम विलेज” के रूप में विकसित किया जाएगा। जिला योजना के तहत उद्यान विभाग यहां 10 मशरूम यूनिट स्थापित करेगा। इस पहल से जहां किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
एक यूनिट पर लगभग ढाई लाख रुपये खर्च होंगे। इसमें किसानों को 90 प्रतिशत यानी 2.25 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में मिलेगी, जबकि केवल 25 हजार रुपये उन्हें स्वयं लगाने होंगे। इन यूनिटों में बटन मशरूम का उत्पादन किया जाएगा। अक्तूबर से फरवरी के बीच एक सीजन में दो से तीन फसल ली जा सकती हैं। एक टन कंपोस्ट से 200 से 250 किलो मशरूम उत्पादन संभव है। अनुमान है कि किसान एक सीजन में डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक की आय कर सकेंगे।
पहले मशरूम की खपत मुख्य रूप से बड़े शहरों और होटलों तक सीमित थी, लेकिन अब इसकी मांग ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रही है। सब्जी, सूप, स्नैक्स और पाउडर के रूप में मशरूम की लोकप्रियता बढ़ रही है। यही कारण है कि किसान पारंपरिक खेती छोड़ अब मशरूम उत्पादन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
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अन्य ब्लॉकों में भी बढ़ावा मिलेगा
ताड़ीखेत, भिकियासैंण, सल्ट, स्याल्दे और द्वाराहाट ब्लॉकों में भी मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना है। देवलीखान में बंदरों और जंगली सूअरों से फसलें नष्ट हो रही थीं, जिससे किसान खेती छोड़कर पलायन को मजबूर थे। अब मशरूम यूनिट स्थापित हो