बागेश्वर/पिथौरागढ़। उत्तराखंड की पावन धरती पर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ ग्रामीण खुद लामबंद होने लगे हैं। प्रदेश के कुमाऊं मंडल के एक गांव (संबंधित ग्राम सभा) में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से गांव के भीतर शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अनुशासन को कड़ा करने के लिए ग्रामीणों ने यह घोषणा की है कि यदि कोई भी व्यक्ति गांव की सीमा के भीतर शराब पीते या बेचते पकड़ा गया, तो उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
सामूहिक निर्णय और कड़े नियम
गांव की ग्राम पंचायत और महिला मंगल दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। ग्रामीणों का मानना है कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण गांव का युवा पथभ्रष्ट हो रहा था और घरेलू कलह की घटनाएं बढ़ रही थीं।
- अर्थदंड का प्रावधान: नियम के अनुसार, पहली बार पकड़े जाने पर भारी जुर्माना देना होगा। यदि कोई बाहरी व्यक्ति गांव में शराब लाता है, तो उस पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- निगरानी समितियां: गांव के युवाओं और महिलाओं ने छोटी-छोटी निगरानी टोलियां बनाई हैं, जो गांव के सार्वजनिक स्थानों और रास्तों पर पैनी नजर रखेंगी।
- सामाजिक बहिष्कार: जुर्माने के साथ-साथ बार-बार नियम तोड़ने वाले व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी गई है।
निर्णय के पीछे का उद्देश्य
ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम केवल दंड देने के लिए नहीं, बल्कि गांव के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए उठाया गया है।
- युवा पीढ़ी का बचाव: नशे की लत से नई पीढ़ी को बचाकर उन्हें शिक्षा और स्वरोजगार की ओर मोड़ना।
- आर्थिक सुधार: शराब पर खर्च होने वाले पैसे का उपयोग बच्चों की पढ़ाई और परिवार की खुशहाली के लिए सुनिश्चित करना।
- शांति व्यवस्था: नशे के कारण होने वाले झगड़ों और अपराधों पर लगाम लगाना।
प्रशासन ने की सराहना
स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों की इस स्वैच्छिक पहल की प्रशंसा की है। अधिकारियों का कहना है कि जब समाज खुद आगे आकर नशा मुक्ति का संकल्प लेता है, तो पुलिस और प्रशासन का काम आसान हो जाता है। अन्य पड़ोसी गांवों में भी इस मुहिम का व्यापक असर देखने को मिल रहा है।





