चीन ने कहा है कि नई दिल्ली-बीजिंग के बीच हाल ही में हुए समझौते के बाद देपसांग व डेमचोक से चीनी और भारतीय सैनिकों की वापसी ‘सुचारू रूप से’ हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 अक्तूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर अपनी द्विपक्षीय बातचीत में देपसांग व डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से सैनिकों के पीछे हटने और गश्त को लेकर हुए समझौते का अनुमोदन किया था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बताया कि सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने जवानों की वापसी में जुटे हैं और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। भारत ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर चीन से हुए समझौते की 21 अक्तूबर को घोषणा की थी और बीजिंग ने एक दिन बाद इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि दोनों ‘पक्ष प्रासंगिक मामलों के समाधान’ तक पहुंच गए हैं और वह (बीजिंग) इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले दो बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्तूबर तक पूरी होने की संभावना है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि भारत-चीन में समझौता केवल टकराव वाले इन दो बिंदुओं के लिए हुआ है तथा अन्य क्षेत्रों के लिए बातचीत अब भी चल रही है। सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव वाले दोनों बिंदुओं पर गश्त शुरू होगी और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों को हटाकर अस्थायी ढांचों को नष्ट कर देंगे। उन्होंने कहा कि अंतत: गश्त का स्तर अप्रैल 2020 से पहले के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।