उत्तराखंड के दुर्गम पर्वतीय इलाकों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में हेली एंबुलेंस सेवा लगातार राहतकारी साबित हो रही है। प्रदेश सरकार द्वारा संचालित यह निशुल्क हेली एंबुलेंस सेवा अब तक 60 से अधिक गंभीर मरीजों और घायलों को समय रहते उच्च चिकित्सा केंद्रों तक पहुंचाने में सफल रही है।
अक्तूबर 2024 में एम्स ऋषिकेश के सहयोग से शुरू की गई यह सेवा देश की पहली निशुल्क हेली एंबुलेंस सेवा है, जिसे 24 घंटे अलर्ट मोड में रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य आपदा, सड़क दुर्घटना, प्रसव संबंधी जटिलताएं, भूस्खलन और बाढ़ जैसी स्थितियों में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 74 घंटे 12 मिनट की कुल हवाई उड़ान में 60 मरीजों को एयरलिफ्ट किया गया है। इनमें 23 मरीज सड़क दुर्घटना से, 18 जटिल प्रसव से संबंधित और 19 अन्य आकस्मिक चिकित्सा स्थितियों में थे। ये सभी मरीज गंभीर स्थिति में थे जिन्हें हायर सेंटर ले जाकर जीवनरक्षक उपचार दिया गया।
मुनस्यारी से नहीं हो सकी उड़ान, फिर भी मिला त्वरित प्रशासनिक सहयोग
11 जुलाई को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के धापा गांव में जंगली मशरूम खाने से एक महिला और उसकी नातिन की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें हल्द्वानी रेफर किया गया। डीएम पिथौरागढ़ द्वारा तत्काल हेली सेवा की मांग की गई, जिसे नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने मंजूरी भी दी। लेकिन अत्यधिक खराब मौसम के कारण डीजीसीए के दिशा-निर्देशों के तहत उड़ान संभव नहीं हो पाई। ऐसे में प्रशासन ने वैकल्पिक उपायों से मरीजों को राहत पहुंचाई।
विषम भौगोलिक स्थितियों के बीच कारगर पहल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यह हेली एंबुलेंस सेवा संजीवनी के रूप में कार्य कर रही है। कई बार मौसम की वजह से उड़ान संभव नहीं हो पाती, ऐसे में वैकल्पिक उपायों से भी लोगों को राहत देने के निर्देश दिए गए हैं।”
हेली एंबुलेंस सेवा के माध्यम से न केवल दूरस्थ क्षेत्रों को स्वास्थ्य सुरक्षा से जोड़ा गया है, बल्कि यह प्रदेश को आपदा प्रबंधन और चिकित्सा आपात स्थिति में तैयार रहने वाले अग्रणी राज्यों की पंक्ति में भी खड़ा करता है।