देहरादून में नदियों की हालत बेहद खराब है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच की है, इसमें दून से गुजरने वाली बिंदाल, रिस्पना, सुसवा का पानी कई जगह ई श्रेणी (स्नान और सिंचाई के लिए भी ठीक नहीं) में मिला है। वहीं, पहाड़ में गोविंदघाट, विष्णु प्रयाग, कर्णप्रयाग में अलकनंदा, धौली गंगा, पिंडर (बिना पारंपरिक उपचार का पेयजल) आदि का जल उच्च गुणवत्तायुक्त का है।
पीसीबी राज्य की नदियों, झीलों और बैराज के पानी की गुणवत्ता की जांच करता है। इसी क्रम में पीसीबी ने जनवरी, फरवरी, मार्च में नदियों के पानी में घुलनशील ऑक्सीजन, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड, कोलीफॉर्म स्तर, पीएच समेत 23 मानकों पर पानी की जांच की है। इसमें नदियों के अलग- अलग स्थानों से पानी के सैंपल को लेकर जांच की गई। इसमें देहरादून में नदियों की स्थिति खराब मिली है। रिस्पना नदी का पानी शिखर फाल, आईटी पार्क के पास बी श्रेणी का मिला है। शहर के अंदर पहुंचते ही मोथेरवाला, नालापानी, ऋषिनगर, दीपनगर में पानी की गुणवत्ता ई श्रेणी में मिली।
बिंदाल मोथेरेवाला, कारगी चौक, सुसवा का मोथरोवाला और सेलाकुई में टौंस नदी का पानी ई श्रेणी, वहीं डोईवाला में सुसवा का पानी सी श्रेणी में मिला है। डाक पत्थर व विकास नगर में यमुना, रायवाला में सौंग नदी और हरिद्वार में हर की पैड़ी, डाम कोठी, सुल्तानपुर, बिंदुघाट में गंगा का पानी बी (नहाने योग्य) श्रेणी में है।
ऊधम सिंह नगर में लोहिया बैराज में काशीपुर में बेहला, सितारंगज में नंधौर (उससे पहले पानी की गुणवत्ता बी श्रेणी में है), पंतनगर में कल्याणी नदी का पानी ई श्रेणी में है। नैनीताल में नैनी झील समेत अन्य सभी झील, गौला, भवाली में कैंची धाम के पास शिप्रा नदी और अल्मोड़ा में कोसी नदी का पानी बी श्रेणी में मिला है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नदियों की जल गुणवत्ता को ए, बी, सी, डी और ई श्रेणी में बांटा हुआ है। ए श्रेणी उच्च गुणवत्ता वाले जल को दर्शाती है, जो पीने और नहाने के लिए सुरक्षित है। बी श्रेणी में नहाने और मछली पकड़ने के लिए जल ठीक माना जाता है। सी श्रेणी मध्यम गुणवत्ता वाले जल को दर्शाती है, जो सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त हो सकती है। डी श्रेणी में जल की गुणवत्ता को सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कम ठीक माना जाता है। ई-श्रेणी निम्न गुणवत्ता वाले जल को दर्शाती है, जो विशेष रूप से औद्योगिक शीतलन और नियंत्रित अपशिष्ट निपटान के लिए ठीक माना जाता है।
नदियों को प्रदूषित करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही अन्य सरकारी विभाग के सहयोग से नदियों की स्थिति को बेहतर करने के लिए प्रयास किया जाएगा।
दून में नदियों की हालत खराब, पानी प्रदूषित, बिंदाल, रिस्पना, सुसवा का जल ई श्रेणी में मिला
