Tuesday, December 2, 2025

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दिल्ली-NCR बन सकता है दुनिया का सबसे प्रदूषित इलाका

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर वैज्ञानिकों ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वर्तमान हालात में बड़े बदलाव नहीं किए गए, तो आने वाले सात वर्षों में यह इलाका दुनिया का सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र बन सकता है। लगातार गिरती वायु गुणवत्ता, बढ़ती जनसंख्या घनत्व, तेज शहरीकरण और औद्योगिक विस्तार इस स्थिति को और भयावह बना रहे हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर की हवा में मौजूद पीएम2.5 और पीएम10 कणों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानक सीमा से कई गुना अधिक है। सर्दियों के आगमन के साथ हवा की गति धीमी होने पर धूल, धुआं और अन्य विषैले तत्व वातावरण में जमा हो जाते हैं। इससे न केवल स्मॉग की समस्या बढ़ती है, बल्कि सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि कृषि अपशिष्ट जलाने, वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और उद्योगों में उत्सर्जन प्रक्रिया प्रदूषण के मुख्य स्रोत बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान प्रदूषण स्तर में अगर सालाना 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि जारी रहती है, तो 2032 तक दिल्ली-एनसीआर की स्थिति दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण वाले शहरों से भी बदतर हो सकती है।

हालांकि वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि यदि सरकार और नागरिक मिलकर ठोस कदम उठाएं, तो आने वाले सात वर्षों में इसमें सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर कड़ा नियंत्रण और हरित क्षेत्र बढ़ाने जैसी नीतियों को सख्ती से लागू करना बेहद जरूरी है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लगातार बढ़ते प्रदूषण का असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक पड़ रहा है। अस्पतालों में दम व एलर्जी के मरीजों की संख्या में भी हर साल बढ़ोतरी हो रही है। कई अध्ययन यह भी बताते हैं कि प्रदूषण के कारण औसत आयु में कमी आ रही है और गंभीर हृदय व श्वसन रोगों का खतरा बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि प्रदूषण नियंत्रण को प्राथमिकता में रखते हुए दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जाए। साथ ही लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए वाहन उपयोग कम करने, कचरा न जलाने और पेड़-पौधे लगाने जैसी पहल करनी चाहिए।

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