Thursday, March 13, 2025

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दिल्ली समेत चार राज्यों में स्वाइन फ्लू सबसे ज्यादा

देश के आठ राज्यों में स्वाइन फ्लू यानी एच1एन1 वायरस के संक्रमण का प्रसार काफी तेजी से बढ़ा है। दिल्ली, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में हालात गंभीर हैं। इन राज्यों में इस साल सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस वर्ष जनवरी में 500 से ज्यादा लोग स्वाइन फ्लू संक्रमण की चपेट में आए हैं, जिनमें से छह लोगों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। यह जानकारी केंद्र सरकार के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू को लेकर तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक और दिल्ली में निगरानी बढ़ाने की अपील की गई है। एच1एन1 एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है। यह वायरस पहले सिर्फ सूअरों को प्रभावित करता था, लेकिन अब यह मनुष्यों को भी संक्रमित कर रहा है। इस संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, थकान, भूख न लगना, खांसी, गले में खराश, उल्टी और दस्त हैं। अधिकांश लोग इसे सामान्य सर्दी-जुकाम समझ कर उपचार में देरी करते हैं। यह ऊपरी और मध्य श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। कोरोना की तरह यह भी एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में एनसीडीसी ने बताया कि 2024 में 20,414 लोग इस संक्रमण की चपेट में आए जिनमें 347 की मौत हो गई। इससे पहले 2019 में सर्वाधिक 28,798 मामले दर्ज किए जिनमें 1,218 लोगों की मौत हुई। इस साल जनवरी माह में 16 राज्यों से 516 नए मामलों का पता चला है जिनमें से छह मरीजों की मौत हुई है। रिपोर्ट में यह भी बताया है कि आठ राज्यों के पांच से अधिक जिलों में सबसे ज्यादा संक्रमण के मामलों की पहचान हुई है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि कोरोना या स्वाइन फ्लू की तरह किसी भी आउटब्रेक पर तत्काल प्रतिक्रिया देने के लिए केंद्र सरकार ने नई टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, एनसीडीसी, आईसीएमआर, दिल्ली एम्स, पीजीआई चंडीगढ़, निम्हांस बंगलूरू, विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग सहित अलग-अलग मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। हाल ही में पुणे और जम्मू-कश्मीर में हुए आउटब्रेक में इसी टास्क फोर्स की निगरानी में काम किया गया। उन्होंने बताया कि भविष्य की महामारी की तैयारियों को लेकर यह टास्क फोर्स है जो देश के किसी भी हिस्से में किसी भी संदिग्ध आउटब्रेक की सूचना मिलने पर तत्काल कार्यवाही करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले की तुलना में अब एच1एन1 वायरस के व्यवहार में बदलाव आया है। हालांकि जो लोग उच्च जोखिम श्रेणी में आते हैं, उन्हें इसे सामान्य सर्दी-जुकाम नहीं समझना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत में पहली बार साल 2009 में स्वाइन फ्लू पाया गया। 2009 से 2018 तक भारत में इस संक्रमण की मृत्यु दर काफी अधिक रही है। हालांकि कोरोना महामारी से सीखे संक्रमण प्रबंधन के तौर-तरीकों ने जमीनी स्तर पर मृत्यु दर में कमी लाने के लिए काफी सहयोग किया है। दरअसल, भारत में स्वाइन फ्लू का पहला पुष्ट मामला मई, 2009 में दर्ज किया गया था, लेकिन उसके बाद बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं। भारत में 2021 में एच1एन1 के 778 मामले सामने आए, जिनमें 12 मौतें हुईं। इसी तरह साल 2022 में 13,202 मामले और 410 मौतें हुईं। वहीं 2023 में 8,125 मामले और 129 मौतें हुईं।

 

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