देहरादून/ऋषिकेश: दिल्ली-एनसीआर में गहराते प्रदूषण के संकट और ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP-4) के लागू होने का सीधा असर अब पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और परिवहन व्यवस्था पर पड़ने लगा है। दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के कड़े नियमों के चलते उत्तराखंड से जाने वाले लगभग 5000 ट्रकों के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है।
मुख्य बिंदु और प्रभाव
- सप्लाई चेन पर असर: उत्तराखंड से दिल्ली और अन्य राज्यों को फल, सब्जियां, डेयरी उत्पाद और औद्योगिक सामान ले जाने वाले ट्रक सीमाओं पर ही ठिठक गए हैं। इससे न केवल माल के खराब होने का डर है, बल्कि बाजार में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
- परिवहन कारोबारियों का नुकसान: ट्रक मालिकों और ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अचानक लगी इस रोक से उन्हें रोजाना करोड़ों रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। कई ट्रक चालक रास्ते में ही फंसे हुए हैं, जिससे उनके भोजन और सुरक्षा की समस्या भी खड़ी हो गई है।
- बीएस-4 और भारी वाहनों पर सख्ती: दिल्ली सरकार के आदेशानुसार, केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 (BS-VI) मानकों वाले ट्रकों को ही अनिवार्य सेवाओं के लिए प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। उत्तराखंड के अधिकांश पुराने ट्रक (BS-IV) इस श्रेणी से बाहर होने के कारण रोक दिए गए हैं।
औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ी चिंता
उत्तराखंड के प्रमुख औद्योगिक केंद्र जैसे सिडकुल (पंतनगर और हरिद्वार) से दिल्ली की ओर होने वाला माल का निर्यात काफी हद तक ठप हो गया है। कंपनियों को डर है कि यदि यह पाबंदी लंबे समय तक जारी रही, तो उत्पादन चक्र पर इसका बुरा असर पड़ेगा और ऑर्डर पूरे करने में देरी होगी।
अधिकारियों का पक्ष
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और ट्रक संचालकों को वैकल्पिक मार्गों या नियमों के पालन की सलाह दी जा रही है। हालांकि, जब तक दिल्ली में हवा की गुणवत्ता (AQI) में सुधार नहीं होता, तब तक इन पाबंदियों में ढील मिलने की संभावना कम दिखाई दे रही है।
“दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ना उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए एक बड़ा झटका है। हजारों गाड़ियों के पहिए थमने से न केवल चालक परेशान हैं, बल्कि इसका असर आने वाले दिनों में महंगाई के रूप में भी दिख सकता है।” — स्थानीय ट्रांसपोर्ट यूनियन प्रतिनिधि





