Thursday, September 19, 2024

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दलाई लामा से करो बात :अमेरिका

अमेरिका ने तिब्बत के मसले पर चीन को दोटूक संदेश दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत-चीन विवाद के समाधान को बढ़ावा देने वाले रिजॉल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर किए। इसमें तिब्बत पर चीन के जारी कब्जे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर शुरू करने का आह्वान किया गया है। चीन ने इस इस एक्ट का विरोध किया था और इसे अस्थिरता पैदा करने वाला बताया था। इस एक्ट से संबंधित बिल पिछले साल फरवरी में प्रतिनिधि सभा में और मई में सीनेट में पारित किया गया था।           बाइडन ने शुक्रवार (12 जुलाई 2024) को जारी एक बयान में कहा, आज, मैंने एस. 138, तिब्बत-चीन विवाद समाधान को बढ़ावा देने वाले अधिनियम (अधिनियम) पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं तिब्बतियों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और उनकी विशिष्ट भाषायी, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की द्विदलीय प्रतिबद्धता को साझा करता हूं। मेरा प्रशासन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करता रहेगा, ताकि मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिये समझौता किया जा सके। रिजॉल्व तिब्बत एक्ट में कहा गया है कि तिब्बत विवाद का बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए। इसमें तिब्बती लोगों के अलग धार्मिक, भाषाई और ऐतिहासिक पहचान को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन की नीतियां तिब्बत के लोगों की अपनी जीवन शैली को संरक्षित करने की क्षमता को दबाने की कोशिश कर रही हैं। यह कानून चीन के इस दावे को खारिज करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से उसका हिस्सा रहा है। इसमें चीन से तिब्बत के इतिहास के बारे में गलत और भ्रामक प्रचार बंद करने की मांग की गई है। यह कानून चीन के भ्रामक दावों से निपटने के लिए अमेरिका के विदेश विभाग को भी नए अधिकार देता है। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने हाशिए पर मौजूद धार्मिक और जातीय समुदायों के दमन में शामिल होने के लिए कई चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है। बाइडन ने कहा, मेरा प्रशासन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करता रहेगा, ताकि मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिये समझौता किया जा सके। यह अधिनियम तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन के अन्य तिब्बती क्षेत्रों को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के हिस्से के रूप में मान्यता नहीं देता है।

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