यूरोपीय मुल्क स्विटजरलैंड का शहर दावोस विश्व आर्थिक मंच (WEF) की मेजबानी कर रहा है। इस वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने कई राजनीतिक हस्तियां पहुंची हैं। इनमें केंद्रीय मंत्रियों के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। खास बात ये कि अलग-अलग दलों से ताल्लुक रखने वाले इन राजनेताओं ने ‘भारत के विकास’ का सवाल सामने आने के बाद दलगत राजनीति को परे रखने का फैसला लिया। निवेश और अन्य संसाधनों की बात सामने आने पर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और बिहार जैसे प्रदेशों से पहुंचे नेताओं ने इंडिया फर्स्ट का संदेश दिया। जिन प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता दावोस में 55वें विश्व आर्थिक मंच में शामिल होने पहुंचे हैं उनमें भाजपा, तेलुगू देशम पार्टी (TDP), डीएमके, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और वाम दल शामिल हैं। 24 जनवरी तक चलने वाले इस आयोजन में दुनिया भर की कंपनियों के अधिकारियों से भारत में निवेश की अपील की जा रही है। केंद्रीय रेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अलावा केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री / मंत्री दावोस पहुंचे हैं।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने दावोस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम अलग-अलग राजनीतिक दल हो सकते हैं, लेकिन जब हम दावोस आए थे, तो हम सभी एक थे। उन्होंने कहा कि इंडिया फर्स्ट, यही हमारा नारा है। नायडू ने बताया कि भारत आर्थिक सुधार, प्रौद्योगिकी में समय पर बदलाव, जनसांख्यिकीय लाभ, स्थिर विकास दर और मजबूत नीतियों के कारण अच्छी स्थिति में है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का ब्रांड बहुत मजबूत हुआ है। नायडू ने कहा कि दावोस में ‘टीम इंडिया’ के रूप में भाग लेने वाले विभिन्न दलों के नेता दुनिया को सही संदेश दे रहे हैं।
इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘टीम इंडिया’ की भावना को दोहराया। उन्होंने कहा कि दावोस में, हम एक भारत देख सकते हैं। यह सरकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां विभिन्न राज्य अपने विकास की क्षमता दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है और सभी राज्यों का साथ मिलकर विकास करना जरूरी है।