कई दक्षिण पूर्व एशियाई देश इन दिनों साइबर क्राइम का गढ़ बन गए हैं। कंबोडिया, म्यांमार, लाओस और कुछ अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध गिरोह बने हुए हैं। ये अपराध गिरोह भारत में वित्तीय धोखाधड़ी, डिजिटल गिरफ्तारी, एटीएम घोटाले जैसे साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि संगठित अपराध और साइबर अपराध पर रोक लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। गृह मंत्रालय द्वारा गठित इस समिति में गृह मंत्रालय के विशेष सचिव , भारतीय रिजर्व बैंक, वित्तीय सेवा विभाग, बैंक, वित्तीय खुफिया इकाई, दूरसंचार विभाग और वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र से संबंधित अधिकारी शामिल हैं। देश में होने वाले 45 फीसदी साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से ही हो रही है। राजेश कुमार ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से होने वाले साइबर अपराध के जरिए बड़ी संख्या में पैसों का नुकसान हुआ है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने विशेष समिति का गठन किया है। साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, स्काइप खातों, गूगल और मेटा पर विज्ञापनों, एसएमएस हेडर, सिम कार्ड, बैंक खातों आदि जैसे साइबर अपराध बुनियादी ढांचे की लगातार निगरानी कर रहा है। जिसके चलते पिछले चार महीनों में 3.25 लाख “म्यूल” खाते (दूसरों के केवाईसी दस्तावेजों का उपयोग करके साइबर अपराध निधि को वैध बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैंक खाते) फ्रीज कर दिए गए हैं। साथ ही पिछले साल जुलाई से 3,000 से अधिक यूआरएल और 595 मोबाइल फोन ऐप ब्लॉक कर दिए गए हैं। 5.3 लाख सिम कार्ड और 80,848 आईएमईआई नंबर निलंबित कर दिए गए हैं और पिछले दो महीनों में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वेबसाइट और व्हाट्सएप समूहों पर 3,401 गैरकानूनी सामग्री हटा दी गई है। कुमार ने बताया, इनमें 1,500 स्काइप आईडी भी शामिल हैं जिन्हें हटाया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘हमने देखा है कि इस (दक्षिण पूर्व एशियाई) क्षेत्र से होने वाले साइबर अपराध निवेश, गेमिंग और डेटिंग ऐप्स और फर्जी ट्रेडिंग ऐप्स आदि के माध्यम से किए जा रहे हैं।‘ भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में देश में साइबर अपराधों में खोई गई कुल राशि 7,061 करोड़ रुपये है। जनवरी से अप्रैल के बीच ही देश में 4599 डिजिटल अरेस्ट के मामले दर्ज हुए हैं। इसी अवधि के दौरान देश में ट्रेडिंग घोटाले की 20,043, निवेश घोटाले की 62,687 और डेटिंग घोटाले की 1,725 शिकायतें दर्ज की गई हैं।