नई दिल्ली।
दक्षिण एशिया की समृद्ध गणितीय परंपरा और उसकी वैश्विक प्रासंगिकता पर चर्चा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। यह सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में दिए गए उस विजन पर आधारित है, जिसमें उन्होंने शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भविष्य की प्रगति का आधार बताया था।
विदेश मंत्री करेंगे उद्घाटन
इस सम्मेलन का उद्घाटन विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर करेंगे। इसमें दक्षिण एशिया के कई देशों के गणितज्ञ, शोधकर्ता और शिक्षा विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। आयोजन का मकसद क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना और गणित के क्षेत्र में साझा अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना है।
भारत की विरासत पर वैश्विक फोकस
गणित की दुनिया में भारत का योगदान – जैसे शून्य की खोज, दशमलव पद्धति और ज्यामिति व बीजगणित के सिद्धांत – को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। सम्मेलन में इन परंपराओं को आधुनिक समय की चुनौतियों से जोड़ने और उन्हें शिक्षा व शोध के नए अवसरों में बदलने पर विमर्श होगा।
साझा प्लेटफॉर्म तैयार होगा
आयोजकों का कहना है कि यह सम्मेलन केवल शैक्षणिक चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, छात्र–शिक्षक आदान–प्रदान कार्यक्रम और डिजिटल सहयोग का एक नया प्लेटफॉर्म तैयार करेगा।
PM मोदी के विजन से प्रेरित पहल
सम्मेलन को प्रधानमंत्री मोदी के उस विजन से जोड़ा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि SCO और क्षेत्रीय मंचों को शिक्षा व शोध के जरिए लोगों को करीब लाना चाहिए। यही कारण है कि गणित विरासत पर केंद्रित यह सम्मेलन सांस्कृतिक धरोहर और वैज्ञानिक दृष्टि दोनों का संगम बनेगा।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आयोजन दक्षिण एशियाई देशों के बीच शैक्षणिक कूटनीति (Educational Diplomacy) को मजबूत करेगा और आने वाले समय में विज्ञान-तकनीक के क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को नई दिशा देगा।