थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर घातक रूप ले चुका है। संघर्ष के चौथे दिन रविवार को भी दोनों देशों के बीच भारी गोलाबारी और झड़पें जारी रहीं। अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है और 1.68 लाख से अधिक लोग अपने घरों से पलायन कर चुके हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई सीमावर्ती क्षेत्रों में मार्शल लॉ घोषित किया गया है।
10 मुख्य बिंदुओं में जानिए अब तक की स्थिति:
- तीन दिनों की लगातार गोलीबारी में 33 की मौत
– एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष में अब तक 33 लोगों की जान गई, और 150,000 से अधिक लोग बेघर हुए। - ट्रंप का हस्तक्षेप
– अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं से संपर्क कर युद्धविराम की अपील करेंगे। - भारतीय दूतावास की एडवाइजरी
– कंबोडिया स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और सीमा क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी है। हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। - कंबोडिया की तरफ से 13 मौतों की पुष्टि
– रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मरने वालों में 8 नागरिक और 5 सैनिक हैं, साथ ही 71 लोग घायल हुए हैं। - थाईलैंड की ओर से भी 20 मृतक
– थाई अधिकारियों ने बताया कि उनके पक्ष में 13 नागरिक और 7 सैनिक मारे गए, जो 2008–2011 के संघर्ष से अधिक है। - स्थानीय निवासियों की आपबीती
– विस्थापित किसान सैमली सोरंचाई (76) ने कहा, “ऐसा लगता है जैसे युद्ध क्षेत्र से भाग रहा हूं।”
– एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “हम दोस्त बनना चाहते हैं, लेकिन हमला किया जा रहा है।” - यूएन में युद्धविराम की मांग
– कंबोडिया के संयुक्त राष्ट्र राजदूत चिया केओ ने बिना शर्त तत्काल युद्धविराम की मांग की और शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया। - थाईलैंड ने आठ जिलों में मार्शल लॉ लागू किया
– सीमा से लगे आठ जिलों में सेना को पूर्ण नियंत्रण दे दिया गया है, ताकि हालात काबू में लाए जा सकें। - विवाद का केंद्र: प्राचीन मंदिर
– प्रसात प्रेह विहेअर और प्रसात ता मुएन थॉम, दो खमेर युग के हिंदू मंदिर हैं, जो दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य कारण बने हैं। - भारत की प्रतिक्रिया
– विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत दोनों देशों का मित्र है। हम चाहते हैं कि लड़ाई बंद हो और मतभेदों को बातचीत से सुलझाया जाए।”
संघर्ष के कारण सीमावर्ती गांवों के हजारों परिवार मंदिरों और राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और रेडक्रॉस जैसी संस्थाएं खाद्य, चिकित्सा और आवास की व्यवस्था करने में जुटी हैं।
- वर्ष 2008 और 2011 में दोनों देशों के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर टकराव हुआ था, जिसमें 28 लोगों की मौत हुई थी।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने मंदिर क्षेत्र को कंबोडिया का हिस्सा माना, लेकिन जमीन पर तनाव बना रहा।