हरिद्वार। आगामी प्रमुख त्योहार की तिथि को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रहे भ्रम पर अब धर्मनगरी हरिद्वार के ज्योतिषियों ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। ज्योतिषाचार्यों ने कहा है कि पंचांग और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार त्योहार नियत तिथि पर ही मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार अमावस्या और तिथि परिवर्तन की स्थिति के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई थी, लेकिन यह कोई असामान्य बात नहीं है — ऐसी स्थिति पहले भी कई बार बन चुकी है।
हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित गोविंद शास्त्री, पंडित राजेश जोशी और पंडित अमरनाथ झा सहित कई विद्वानों ने बताया कि चंद्रमा की गति और सूर्योदय काल के आधार पर ही पर्वों की तिथि तय की जाती है। इस वर्ष अमावस्या और प्रतिपदा के संयोग के कारण कुछ पंचांगों में मतभेद देखने को मिला, जिससे श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति बनी।
पंडित गोविंद शास्त्री ने बताया कि धर्मशास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि अमावस्या का क्षय या संयोग सूर्योदय से पहले या बाद में होता है, तो पर्व उसी तिथि को मनाया जाता है जिसमें सूर्योदय पड़ता है। इसी नियम के अनुसार त्योहार की तिथि का निर्णय किया गया है।
ज्योतिषाचार्य राजेश जोशी ने कहा कि यह स्थिति समय-समय पर पंचांग भेद के कारण उत्पन्न होती रहती है, लेकिन धर्मशास्त्रों और गणना के अनुसार वास्तविक तिथि पर ही पर्व मनाना उचित होता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए त्योहार मनाएं।
पंडित अमरनाथ झा ने कहा कि हरिद्वार जैसे तीर्थस्थल में धर्म और परंपरा के प्रति लोगों की भावनाएं गहरी हैं, इसलिए छोटी सी भ्रम की स्थिति भी चर्चा का विषय बन जाती है। उन्होंने कहा कि पंचांगों में विविधता भारत की ज्योतिष परंपरा की समृद्धता को दर्शाती है, न कि मतभेद को।
ज्योतिषियों ने यह भी कहा कि धर्मनगरी में त्योहार से जुड़े सभी धार्मिक आयोजन पूर्वनिर्धारित तिथि पर ही होंगे और कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।





