बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-58) पर स्थित लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र एक बार फिर सक्रिय हो गया है। लगभग तीन वर्षों की शांति के बाद अब यहां फिर से चट्टानें दरकने लगी हैं और बड़े-बड़े बोल्डर हाईवे पर गिर रहे हैं। इससे मार्ग की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। हिल साइड पर बनी सुरक्षा दीवार भी कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई है।
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने भूस्खलन क्षेत्र में पुनः ट्रीटमेंट कार्य शुरू कर दिया है। चट्टान के शीर्ष हिस्से पर दो पोकलेन मशीनें लगाई गई हैं जो मलबा और बोल्डर हटाने में जुटी हैं। बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि पहले इस क्षेत्र में स्थायी उपचार किया जा चुका था और सड़क भी चौड़ी कर दी गई थी, जिससे तीर्थयात्रियों और सेना की आवाजाही सुचारु रूप से चल रही थी। फिलहाल मार्ग अवरुद्ध नहीं है, लेकिन बोल्डर गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिन्हें रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
गौरतलब है कि लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र ने पहले भी कई बार बदरीनाथ यात्रा को बाधित किया है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं से होकर चीन सीमा की ओर जाने वाली सैन्य आवाजाही होती है। वर्ष 2015 में इस क्षेत्र के ट्रीटमेंट की शुरुआत हुई थी। अलकनंदा नदी के किनारे से लगभग 120 मीटर लंबी वैकल्पिक सड़क का निर्माण किया गया और भूस्खलन संभावित चट्टान के बाहरी हिस्से से सुरक्षा दीवारें खड़ी की गई थीं।
बीते तीन वर्षों में इस क्षेत्र में कोई बड़ी भूस्खलन घटना नहीं हुई, लेकिन अब पुनः सक्रियता ने सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन को सतर्क कर दिया है। यात्रा सीजन के मध्य में भूस्खलन की पुनरावृत्ति चिंता का विषय है। बीआरओ के अधिकारियों ने भरोसा जताया है कि समय रहते प्रभावी कदम उठाकर मार्ग को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जाएगा।