Thursday, November 14, 2024

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तीन दिन के विदेश दौरे पर पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया के राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के मौके पर इस मध्य यूरोपीय देश की यात्रा बड़े सम्मान की बात है। दोनों देश सहयोग बढ़ाने के नए रास्ते तलाशने पर चर्चा करेंगे। उन्होंने यह बात ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर की सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में कही। पीएम मोदी सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर रूस और ऑस्ट्रिया रवाना होंगे। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी खासकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार और बढ़ाने पर बात होगी। प्रधानमंत्री ने रविवार को ऑस्ट्रियाई चांसलर नेहमर की सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में उम्मीद जताई कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ होंगे। पीएम ने अपनी पोस्ट में लिखा, मैं दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर चर्चा की उम्मीद करता हूं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्य वह आधार हैं जिस पर दोनों देश साथ मिलकर एक निरंतर घनिष्ठ साझीदारी का निर्माण करेंगे। इससे पहले, नेहमर ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री का वियना में स्वागत करने के लिए बहुत उत्सुक हैं। उन्होंने लिखा, यह यात्रा एक विशेष सम्मान है क्योंकि यह 40 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मेरे देश की पहली यात्रा है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने और कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर बेहतरीन सहयोग के बारे में बात करने का अवसर मिलेगा। नेहमर की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनका आभार जताया।   पीएम मोदी 8 और 9 जुलाई को रूस की यात्रा पर रहेंगे और फिर वहीं से ऑस्ट्रिया जाएंगे। वह 9 और 10 जुलाई को ऑस्ट्रिया में रहेंगे। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा होगी। वह ऑस्ट्रिया गणराज्य के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन और चांसलर से मिलेगें। पीएम मोदी और चांसलर नेहमर भारत-ऑस्ट्रिया के शीर्ष उद्यमियों की बैठक को भी संबोधित करेंगे। मोदी वियना में  भारतीय समुदाय के लोगों   से भी बातचीत करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरे का मकसद मॉस्को और बीजिंग के बीच बढ़ती करीबी को देखते हुए भारत-रूस के रिश्ते की अहमियत को दिखाना और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को संतुलित करना भी है।

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