तालिबान सरकार एक बार फिर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों में घिर गई है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान और ईरान से जबरन निकाले गए कई अफगान नागरिकों को तालिबान ने यातनाएं दीं, धमकाया और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, लौटे हुए लोगों में वे शामिल हैं जिन्होंने पहले पश्चिम समर्थित सरकारों के साथ काम किया था या ऐसे पेशों से जुड़े हैं जो तालिबान को संदेहास्पद लगते हैं। इनमें से कई लोगों को पीटा गया, पानी में डुबोया गया, और यहां तक कि नकली फांसी की धमकी भी दी गई।
यौन और लैंगिक अल्पसंख्यकों को भी प्रताड़ना झेलनी पड़ी। एक गैर-बाइनरी व्यक्ति ने बताया कि उसे बंदूक की बट से पीटा गया।
UN प्रमुख की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा:
“किसी को भी उस देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिए, जहां उसकी पहचान या इतिहास के कारण उत्पीड़न की आशंका हो।”
उन्होंने अफगान महिलाओं और लड़कियों की स्थिति को विशेष रूप से गंभीर बताया—जिन पर शिक्षा, नौकरी और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर कड़े प्रतिबंध लगे हैं।
तालिबान की प्रतिक्रिया
तालिबान प्रशासन ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि लौटने वालों को दस्तावेज, यात्रा सहायता और कानूनी मदद दी जा रही है। साथ ही, तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह शरणार्थियों के जबरन निष्कासन को रोके और उन्हें खाद्य, चिकित्सा, आश्रय और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराए।