Saturday, December 27, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

ठाणे नगर निगम चुनाव: बीजेपी और शिवसेना के बीच सीट बंटवारे पर फंसा पेंच, दोनों दलों ने अकेले चुनाव लड़ने के संकेत देते हुए शुरू किया प्रचार

ठाणे: आगामी ठाणे नगर निगम (TMC) चुनावों को लेकर महायुति गठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच दरार पड़ती नजर आ रही है। कई दौर की बैठकों के बावजूद सीट बंटवारे पर सहमति न बन पाने के कारण अब दोनों पार्टियों ने अलग-अलग राह पकड़ ली है। शहर के राजनीतिक गलियारों में उस समय हलचल तेज हो गई जब दोनों दलों ने अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार अभियान का शंखनाद कर दिया।

वर्चस्व की जंग: सीटों पर अड़ा पेंच

सूत्रों के अनुसार, विवाद का मुख्य कारण उन सीटों पर दावा है जहां दोनों ही पार्टियां खुद को मजबूत मानती हैं।

  • शिवसेना का पक्ष: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ होने के नाते शिवसेना अधिकांश सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। पार्टी का तर्क है कि ठाणे उनका पारंपरिक आधार रहा है।
  • बीजेपी की मांग: दूसरी ओर, बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में ठाणे में अपना जनाधार बढ़ने का हवाला देते हुए सम्मानजनक सीटों की मांग की है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि वे गठबंधन में ‘जूनियर पार्टनर’ की भूमिका में नहीं रहना चाहते।

अलग-अलग प्रचार से गठबंधन में खटास

बीते 24 घंटों में ठाणे की सड़कों पर बदले हुए राजनीतिक हालात देखने को मिले:

  • शक्ति प्रदर्शन: दोनों पार्टियों ने शहर के अलग-अलग वार्डों में कार्यकर्ता सम्मेलन और जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिए हैं।
  • बैनर-पोस्टर: दिलचस्प बात यह है कि नए प्रचार पोस्टरों से एक-दूसरे के शीर्ष नेताओं की तस्वीरें नदारद हैं, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि गठबंधन अब केवल कागजों तक सीमित रह सकता है।
  • प्रत्याशियों का पैनल: स्थानीय स्तर पर दोनों दलों ने संभावित उम्मीदवारों के नामों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है ताकि यदि बात न बने तो अकेले चुनाव लड़ा जा सके।

स्थानीय नेताओं के तीखे तेवर

बीजेपी के स्थानीय पदाधिकारियों का मानना है कि अकेले चुनाव लड़ने से पार्टी की जमीनी मजबूती का पता चलेगा। वहीं, शिवसेना के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के गढ़ में वे किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। इस तनातनी ने कार्यकर्ताओं के बीच भी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है, जो अब तक मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

वरिष्ठ नेतृत्व पर टिकी निगाहें

हालांकि स्थानीय स्तर पर बात बिगड़ती दिख रही है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अंतिम फैसला राज्य के शीर्ष नेतृत्व (देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे) के बीच होने वाली अंतिम दौर की चर्चा के बाद ही होगा। यदि दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) को मिल सकता है।

फिलहाल, ठाणे का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है और आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि ‘फ्रेंडली फाइट’ होगी या गठबंधन पूरी तरह टूट जाएगा।

Popular Articles