Sunday, December 21, 2025

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ट्रंप प्रशासन ने अब तक रद्द किए 85,000 अमेरिकी वीजा, कई भारतीय H-1B आवेदकों का इंटरव्यू टला

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा वीजा नीतियों में किए गए कड़े बदलावों ने हजारों विदेशी पेशेवरों को प्रभावित कर दिया है। नई प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत अब तक लगभग 85,000 अमेरिकी वीजा रद्द किए जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में एशियाई देशों, विशेषकर भारत के नागरिक शामिल हैं। सख्त जांच और दस्तावेज़ी प्रक्रिया के कारण कई भारतीय H-1B आवेदकों के इंटरव्यू भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए हैं, जिससे उनके रोजगार और भविष्य की योजनाओं पर गहरा असर पड़ा है।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, वीजा की नई समीक्षा नीति का उद्देश्य “राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना” बताया जा रहा है, लेकिन अप्रवासी समुदाय का कहना है कि अचानक किए गए इन बदलावों ने छात्रों, आईटी पेशेवरों और उच्च कौशल वाले कर्मचारियों के लिए बड़े संकट की स्थिति पैदा कर दी है। वीजा रद्द होने के कारण कई लोग अपने परिवारों से दूर फंस गए हैं, जबकि कुछ को अपने-अपने देशों में अस्थायी रूप से लौटने के लिए विवश होना पड़ा है।

H-1B श्रेणी के आवेदकों की स्थिति सबसे अधिक प्रभावित हुई है। इंटरव्यू स्लॉट उपलब्ध न होने के कारण कई भारतीय पेशेवर उन कंपनियों में शामिल नहीं हो पा रहे, जिन्होंने उन्हें नौकरी का प्रस्ताव दिया है। कुछ कंपनियों ने तो इस अनिश्चितता को देखते हुए भर्तियाँ अस्थायी रूप से रोक भी दी हैं। इससे अमेरिकी टेक उद्योग पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

वीजा रद्द किए जाने और इंटरव्यू स्थगन के पीछे ट्रंप प्रशासन ने “अतिरिक्त सुरक्षा जांच” और “संदिग्ध दस्तावेज़ों की समीक्षा” को वजह बताया है। हालांकि आप्रवासन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कदम अमेरिका की उच्च कौशल वाली प्रतिभा को आकर्षित करने की क्षमता को कमजोर करेगा।

भारत में भी इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई आवेदकों और उनके परिवारों ने अमेरिकी दूतावासों एवं वाणिज्य दूतावासों से प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी की मांग की है। इसके अलावा, रोजगार एजेंसियों और तकनीकी कंपनियों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह अमेरिका के साथ इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर उठाए ताकि भारतीय पेशेवरों को राहत मिल सके।

इस निर्णय से वैश्विक स्तर पर संदेश गया है कि अमेरिका में इमिग्रेशन नीतियाँ लगातार सख्त दिशा में बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्थिति लंबी चली, तो इसका असर न केवल भारतीय प्रतिभाओं पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता भी प्रभावित होगी।

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